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१५४ ]
क्रमांक ग्रन्थाङ्क
१७ | ३५७५ उपदेशसत्तरी (४३)
१८ | ११२२ (१७)
१६
२०
२४
प्रन्थनाम
(५७)
२१ | २०५६ कक्काबत्तीसी २३६८ कक्काबत्तीसी
२२
२५
२३३२ ऋतुवर्णन कवित्त
३५७३ कक्काभास
(१६)
२३ ३५६५ कबीरजी की वाणी
(२)
३५५७ कबीरजी की साखी
(१)
३५७५ करमछत्रीसी
ऊँ (ट) तथा हाथीवर्णन
(१६)
२६ २०११ कर्पूरप्रकर सावचूरि त्रिपाठ
२७ ३५६७ कवित्त (१०) २८ | ३५६२ कवित्त
(११)
२६ | २३१४ कवित्त
२० | २३२१ कवित्त
३१ ३४३० कवित्त आदि
३२ | ३५७० | कवित्त - छप्पय - दूहा
(7)
३३ | ११२२ | कवित्त छप्पे
३५
राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर
દ
(६)
३४ | ११२२ | कवित्त - छप्पे दहा
(६६)
३५१६ कवित्त जेठवारा दूहा
श्रदि
(3)
३५५७ कवित्त- दूहा
(घ)
कर्त्ता
श्रीसार
विद्याविलास
जीवोॠषि
कवीर
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समयसुन्दर
मू हरिपंडित
. जिनसागर
भाषा
रा०गू० २०वीं श. २११
२१६
राज० १६वीं श १० वां
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१६वीं श १५४वां जीर्ण प्रति ।
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रा०गू० २०वीं श -६१ मुलतान में संवत्
१६६= मे रचित । पत्तन में लिखित |
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१६६४ ५२
१६वींश. ११२वां
२०वीं श६७त्रां
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१६वीं श व्र०हि० २०वीं श १८वीं श.
रा०
व्र०रा०
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४,६०-६३
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१५२
१६२
१-११
विशेष
१
२
३
५५-७८
१६वींश ८३-८४
१८ मन्त्रा
१६वींश ३१-३६
१८वीं श ६८-२०१