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________________ क्रमांक ग्रन्थाक ग्रन्थनाम १८७ २९७१ मोहपराजय नाटक १८८ १६६८ | यशोधरचरित्र १८६ | १६६१ | युधिष्ठर विजयमहाकाव्य सटीक १६० ४७ | रघुवशमहाकाव्य १९१ १५२५ | रघुवंशमहाकाव्य १६२ | २८७६ | रघुवशमहाकाव्य १६३ | २६०३ | रघुवशमहाकाव्य १६४ | ३१२० | रघुवंशमहाकाव्य १६५ | ३६३२ | रघुवशमद्दाकाव्य १६६ ०११ | रघुवंशमहाकाव्य नवमसर्ग सटीक १६७ १६५७ रघुवंशमहाकाव्य सटीक १६८ | १६७० रघुवंशमहाकाव्य सटीक त्रिपाठ १६६ २६७५ | रघुवशमहाकाव्य सटीक त्रिपाट २०४ ५०६ काव्य-नाटक- चम्पू कर्त्ता यशः पाल माणिक्यसूरि मू० वासुदेव टी० रत्नकंठ राजानक कालीदाम " " 33 39 मूकालीदास टी-मल्लिनासूर मू० कालीदास टी०मल्लिनाथ कालीदास मू० कालीदास टी० श्रीवल्लभ २०० | ४६७ | रघुवशमहाकाव्य टीका | मल्लिनाथ २०१ | ३६३१ | रघुवशमहाकाव्य टीका मल्लिनाथ २०२ | २८७३ | रघुवंशमहाकाव्य टीका | समयसुन्दर २०३ ४८६ | रघुवशमहाकाव्यटीका " रघुवशमहाकाव्य टीका गुणविनय i भाषा संस्कृत १५वीं श १६६२ १८वीं श. 59 " 22-2 י " " دو 33 39 " " 77 " 23 33 11 1 लिपि - समय 1 १६०२ १५वीं श १६६५ १८८४ पत्र संख्या १७ ३० ७१ १८६१ ११४ १६वीं श. १६वीं श ६४ १६४४ 8 x xxx १७वीं श. १४५ १६वीं श३५३ ६६ १०० ५१ ६२ | पत्र ३१ से ३५ ६८ १८ १४० १८०६ १८४ [ १३६ १७०२ । ८४ विशेष १६वीं श. २२५ प्रथम पत्र अप्राप्त राव श्री दुर्गाजी के शासन मे रामपुरा मे लिखित । १८५६ ! ७६ ६ सर्ग पर्यन्त भुजनगर मे लिखित | भट्टपुर मे लिखित स० १६६२ मे स्तम्भ तीर्थपुर में रचित | छालारदेशे चरणथली ग्राम मे लिखित | सं० १६६२ में स्तभतीर्थ मे रचित कबर के शासन काल में विक्रमपुर मे मं० १६४६ में | रचित | सप्तम आश्वास पर्यन्त | अप्राप्त । जयपुर में लिखित प्रथम पत्र प्राप्त १६ सर्ग पर्यन्त १७ व अपूर्ण ।
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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