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________________ काव्य-नाटक-चम्पू . १३१.].. क्रमांक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थनाम कर्ता भापा लिपि-7 पत्र समय | संख्या विशेष... - | ३६४२ कृष्णरुक्मणीवेली पृथ्वीराजकल्या- मू. व्र..-१७३८ . ८१ | मू. रचना सं..१६३७, वालावबोधसहित णमलोत, वा. वा. रा. वाला. र. स. १६४४, शिवनिधान । कृष्णरुक्मणीवेली मू पृथ्वीराज | राज० | १७६१ | १-६६. योधपुर में लिखित.। सटीक कल्याणमलोत मू रचना सं १६३८ ५२ | ३५४८ | कृष्णरुक्मणीवेली मू. पृथ्वीराज मू. ब.हि.१८गं श. १-७३ सं०६८६ मे बीका| सवालाबोध वा. जयकीर्ति वा. रा. नेर मे बालावबोध रचना । पेजलदी. तिमरी में लिखित । ___५३ | २०६६ | कृष्णरुक्मणीवेली मू पृथ्वीराज | मू रा. १७६ | ३३ न्यग्रोधनगर मे सस्तवक | (पीयल) लिखित । मू. रचना । स्त. शिवनिधान सं० १६३८ । ___५४ | १८६८ | कृष्णरुक्मणीवेलीसार्थ | पृथ्वीराज | मू व्र. १७६२ / १-६७ गुटका। अद्रिशर (पीथल) अ. रा. मे लिखित । कल्याणमलोत ____५५ | २०७० कृष्णरुक्मणीवेलीसार्थ | मू. पृथ्वीराज मू. व्र. | १७२२ ४६ / चहूबाण श्री (पीथल) अ. रा. राजसीजी के शासन में सोहीगांम में लिखित । स. १६३८ (१४), में रचित। सं० १७वीं श " | १६७२ ५६ २४७४ | खण्डप्रशस्ति सटिप्पण | २८७७ खण्डप्रशस्ति (दशावतार टी. गुणविनय स्तुति) सटीक त्रिपाठ गीतगोविन्द जयदेव गीतगोविन्द जयदेव १२ २६ | सं. १६७१ में टीका रचना । गुटका। २वीं श ११५ Jोंश " हवीं श | २८५८ गीतगोविन्द | ३८७६ | गीतगोविन्द सटीक त्रिपाठ गीतगोविन्द सार्थ जयदेव मू जयदेव ४६ | पत्र २३ यां तथा २७ वा अप्राप्त । | मू. जयदेव स अ.रा | १७२८ ५४ | गुटका । रूपनगर में लिखित पत्र ३५ से ४१ तक नष्ट।
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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