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________________ ११६ ] राजस्थान पुरातत्वानवेपण मन्दिर | लिपि- पत्रक्रमांक ग्रन्थाङ्क । कर्ता भापा | लिपि विशेष समय | संख्या ५३५ ६४६ | विवाहान्दारन केशवार्क | सं० १७४३ / १६ श्रावलियालाग्राम में लिखित । | २८६ | विवाहपृन्दावन सटीक केशव (2) | १८३२ १० पत्र १ से ६अप्राप्त ५३७ ।। २८३ विविधमुहूर्तनक्षत्र रागू०१७वीं श. १६४((१०५) विचार १६५ | ३०५६ वृत्तशन महेश्वर सं० १४वीं श १८ वृद्वयत्रन जातक | मीनराज १६वीं श २६६ अन्त्य २६७ व २६८ पत्र अप्राप्त । | ११५१ । | वृद्धयावन | १७५१ १७६५ | वृष्टिज्ञान १६वीं श १ २५७८ शकुनविवारचक्रयुक्त ५ २ दिशा के शकुन ३५.६ शकुन सनक पद्य | तुलसीदास व हि० | " | पत्र २०,२१ वा अपाय। | २६३ | शकुनावली हि० १७वीं श ५३६ ३१११ रागू. २०वी श १५४ ५४५ ३५७५ | शकुनावली (३४) (पासाकेत्र | २८६३ शादिनप्रहर मुइन (२८) घड़ी संख्या चौपाई ५४७ ३७७५ | शतसवच्छरी " १७वीं श ६४ वां १८२७ | शतसंवच्छरी पूर्ण - | करके लेखक ने दश अवतार के कवित्त लिखे हैं। २२ रा० | १८६८ १७५० शतसंवच्छरी तथा भडलीवाक्य सतसंवच्छरी तथा राशिफल ३५६४ शनिचार (६) १७७% शनिपुत्तलकविचारादि ११२५ शिवालिखित रा० गू-१७वीं श १२ शतसवत्सरी स.१७०१ से १७६९ | रा० १८६१ ३३-३४ | बगड़ी ग्राम में लिखित । "रवीं श २ भूजनगर मे लिखित । संगू० १८२७ १-४ गुटका । ५५२ ५५३ २५४६ शिवालिखित २५२४ | शीघ्रबोध ५५५ । २५२६ शीघ्रबोध १ | सं० काशीनाथः । " काशीनाय । " १६वीं श १७४० १६वीं श ३०
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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