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________________ ११४ ] राजस्थान पुरातत्यान्वेपण मन्दिर क्रमांक ग्रन्थाङ्क प्रन्यनाम कर्ता । भाषा लिपि- पत्र- विशेष भापा | समय | संख्या पद्य ५०० ३५६४ | लीलावती गणितभाग | लालचन्द रा० । १६१ / १ ३५ वगडीपुरवर में पद्य लिखित । सं० १७३६ में बीकानेर में रचित ५०१ | ३७१८ लीलावती गणितभाग , रा० । १८४५) २१ । सं० १७६१ में गुढा ग्राम में रचित । सरीयारीग्राम मे लिखित प्रस्तुत रचना वीकानेर में सं० १७३६ में ही हुई है। जो कि पेज पर समाप्त हो जाती है। शेष तीन पेजों मे अक पाश प्रस्तारादिनाणित लीलारती लिखी गयी है । जिसका रचना काल सं० १७६१ तथा रचना स्थल गुढा ग्राम है। ५०२ | ३७२३ / लीलावती गणित भापा , 7 रा० २६वीं श| १५ वीं श १५ | सं० १७३६ मे बीका पद्य नेर मे रचित । संख्या ३७१८ कीरचनाऔर प्रस्तुत रचना एक है प्रशस्ति में वैशिष्य है लेखा , १८वीं श. १०७ १०८ | वर्पफलगणितादि सं.रा.गु १८वीं श. | वर्पफलपद्धति (केशव | विश्वनाथ । सं० | १८५५ | १५ | मीरीमहंकावती कृन) टीका नगरी मे लिखित । वर्पफलप्रकरण मणिस्था.?)चार्य , १७वीं श. ४ १७५५ | वर्पफल भडलीवाक्य रा०स० १६वीं श. १०२ । गुटका शतसंवत्सरसमुद्रकल्पादि १७६१ वर्पवेसाडयाविधि तथा "१६वीं श २ द्वादशभावफल २८४३ वराजाफल आदि सं.रा.गू १७वीं,श १६वां ३७८० १६८२
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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