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________________ [ ५४ राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची] कर्ता लिपिसमय । पत्रसंख्या विशेष विवरण आदि क्रमात ग्रन्थनाम १७७४२ स्फुट पत्र १०७१-१३५ लि.क.-पुरोहित रतनराम, सांगानेरमध्ये । केशवदास (३५) (६) मन्त्र गूमड़ीको प्रादि (७) रामचन्द्रिका ३६ / गुटका-. | गीता (भाषानुवाद) ३७ / गुटका--- (१) गीता (भाषानुवाद) हरिवल्लभ १९०६ " (२) स्तुति स्योमहाराजको ३८ गीता (भाषानुवाद) ३६ गीता (भाषानुवाद) १८८८ १-१४८ .लि.क.-दाह्मण रामवल्लभ, भद्रावतीमध्ये कवर करणसिंहकृते। भद्दे अक्षरों में लिखी है : १४४-१५५ स्वरूपदास निरञ्जनी १८७२७१ ५ ०वा पत्र अप्राप्त । र.का.-सं० १७४२ दीपावली । लि.फ.-रामसुख मानदासशिष्य । प्रति जीर्ण है। जटाशङ्कर | १८०६ १७६ अपूर्ण है । ६ अध्यायोंका अनुवाद है। नोट-इसमें श्लोक, फिर हिन्दी-पद्यानुवाव दिया है । टीका ललित और उत्तम है। सेवाराम संघी तुहाड़िया जयपुरनिवासीके लिये इस अनुवादको रचना हुई। जटाशङ्कर डीडवानाका ब्राह्मण था । वह जयपुरमें । रहता था। भगवानदास निरजनी लि.क.-हीरादास हजारोदासशिष्य, नगर बोड़ा वडमध्ये। | १६वीं.श. ३२ . अपूर्ण व अशुद्ध है। ४० / गीता (भाषानुवाद) १२५ ३२ - ४१ / (१) गीतामूल एवं भाषाटीका । (२) कोकशास्त्र ..
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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