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mer पायनिताप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-पय-संग्रह-गची ]
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लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
१७१५४२५-४२६
४२६-४२७
(३४) (१८७) चिन्नुशिक्षान्तजोगग्रन्य
पासतानाजोगग्रन्यपृथीनाय (१८८) सोलहमलागोगग्रन्थ
(३६ छन्द) (१८९) सोलहतिथिजोगग्रन्थ
(२० छन्द) (१९०) नक्षत्रजोगग्रन्यः (३१ छन्व); (१६१) जैनशीलसमाधिजोगग्रन्य
४२७-४२८
४२८-४२६ ४२६-४३०
इसमें जैनियोंकी रहस्य-विवरणी है।
(१६२) समपणीकर्ता-कथितजोगग्रन्य।
४३०वा
(१९३) हंसरारूपअविगतिजोगरान्य
४३०-४३३
४३३-४३५ धूलमेशपृथीनाथसंवाद भी इसमें है।
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(१६४) सिद्धचौतीसाजोगग्रन्य
(४० छन्द) (१६५) बारहमासी (१६ छन्द). (१९६) अध्यात्मबोध (छन्द १४०) । गरीवदास (दादूशिष्य) (१९७) गरीबदासजीका पद १६ (१९८) गरीबदासजीको साखी २२ (१९६) मोहनदासजीका पद ४ (२००) करुणासार (छन्द ८) चैनदास
४३५वा ४३५-४४० यह अध्यात्मनाममालाकोश है। ४४०-४४२
४४२-४४३ .४४३-४४४
४४४-४४५ लावणीके ढङ्गफे करुणरसपूर्ण सरस पद हैं।
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