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________________ राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण - ग्रन्य-संग्रह-सूची ] क्रमाक ग्रन्थनाम (5) ७ चन्द्रायणा वा प्ररिल्ल अनेक सेवदास अंगों में २० ८ रेखता अनेक अंगोंमें १४ - 8 पद अनेक रागों में (२) हरिदासजी की वाणी १ ब्रह्मस्तुति ६३ छंद २ नांवालाग्रन्थ २१ छंद ३. नामनिरूपणग्रन्थ ४३ दोहा ४ मानप्रसंगग्रन्थ १५ पद्य ५ व्याहलोजोगग्रन्थ ३१ छंद ६ टोडरमलजोगग्रन्थ १ पद ७ ज्ञानी अज्ञानीपुच्छा-जोग ग्रन्थ ४० छंद ८ पद एवं रेखता ८१ ६ कवित्त स्फुट ६ १० कुण्डलिया ३६ श्रनेक अंग ११ चन्द्रायणा १६ अनेक अंग १२ साखी अनेक श्रंग २५१ (३) गोरखनाथजीकी कृतियां १ गोरखगणेहगोष्ठीजोगग्रन्थ २ शिष्टपुराण " "" हरिदास " "> 19 "" " "" " 15 "7 कर्त्ता गोरखनाथ लिपिसमय १८८५ "1 :1 " 11 " "1 "" "1 "" " " पत्र संख्या १-१०१ "" " " | १०१-१.५ ०५-१०७ १०७-१११ | १११-११२ ११२-११५ ११५-११६ ११६-१२० | १२०-१५० 65 १५०-१५३ १५३-१७० ११७०-१७३ १७३-१७४ विशेष विवरण श्रादि [ १४ लि.क. मुकुन्ददास दर्शनदासशिष्य; ग्राम रामसा । बहुत उत्तम है--अध्यात्म विवाह "टोडरमल जीत्यो जी" इस ढालमें |
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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