SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लगता था, जो अव गणगौरी वाजारके चतुष्पथ पर देखा जा सकता है। इसमें विविध प्रकीर्ण वस्तुएँ विक्रयार्थ आती हैं। पुरोहितजी साहबके दृष्टिपथमें ... एक हस्तलिखित पुस्तक आई। जितना मूल्य उस विक्रेताने लगाया, विद्याभूषणजीके पास तत्काल नहीं था। अपरिचित होनेसे विक्रेताने नकद दामों पर ..... ही पुस्तक देना स्वीकार किया। विद्याभूषणजीने यहां जो परिचय ग्रन्थानुरागका दिया, वह अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने अपना अंगरखा उतार कर विक्रेताके पास न्यासके रूपमें रख दिया और यह कहते हुए ग्रन्थ खरीद लिया कि अभी अमुक लक्षण वाला व्यक्ति मूल्य लेकर तुम्हारे पास आएगा, उसे यह अंगरखा लौटा देना । क्या किसी साहित्य-प्रेमीका हृदय साहित्यके लिए इस प्रकार तड़पा है ? यह केवल एक झलक है, उनके उत्कट विद्यानुरागकी। विद्याभूपणजी द्वारा सम्पादित ग्रन्थोंकी लम्बी सूचीमें आयुर्वेद, ज्यौतिष, ...... इतिहास, कथा, अनुसन्धान, काव्य और सन्तसाहित्य आदि विविध प्रकीर्णक हैं, ..... जिन्हें देख कर उनका बहुमुखी पांडित्य सुव्यक्त होता है। जितना उनकी तीक्ष्ण दष्टि और समर्थ लेखनीकी अकुंठ धारासे देखा लिखा गया है, वह शाणोल्लीढ मणिके समान है, जिस पर आलोचनाका वज्रतीक्ष्णचंचुप्रहार भी मोघ है। .. सन्त-साहित्य और इतिहास विद्याभषणजीके विशेष प्रिय विषय रहे। इनके लिए उन्होंने आचूड श्रमस्वेदावगाहन किया । विशेषतः सन्तसाहित्यके ग्रन्थोंमें .. उन्होंने जो आत्मानन्द अनुभव किया उससे वह छके रहते थे। वह लिखते हैं"जितने ग्रन्थ हमें उपलब्ध हुए हैं, उनके अवलोकनसे ज्ञात होता है कि समग्र रचनासमूह एक अटल, अनन्यभगवद्भक्ति, प्रभुप्रेम और सच्चे गहरे हरिरसका तरंगमय समुद्र है। उसमें आद्योपान्त शान्तरसका समुद्र है जिसकी गम्भीर,... धीमी, अनुद्विग्न लीला-लोलतरंगमालाएँ मनरूपी जहाजको सुमधुर गतिसे. भगवच्चरणारविन्दोंमें बहाये हुए ले जा रही हैं" और यही कारण है कि दादू, मीरां, भील, जनगोपाल, बजनिधि और गरीवदास आदिके दुर्लभ साहित्यपाथो- .... १- विशचि का निवारण २- सतलडी ३-सुन्दरसार ४- तारागण सूर्य हैं, ५-.. . - महाराज मिर्जा राजा जयसिंह ६-महाराज मिर्जा राजा मानसिंह .७- महामति मि० . .. ग्लैंडस्टन - ब्रजनिधिग्रन्थावली ह-सुन्दरग्रन्थावली . १० गुरु गोविन्दसिंहके पुत्रोंकी ... धर्मबलि · ११- मीरा बहतपदावली १२- जयपुरकी वंशावली. १३- होलीहजारा १४-: .... महाराजा सवाई जयसिंह १५- श्रीजगतशिरोमणीजी. १६-बारहमासी संग्रह. १७- . बावनीसंग्रह .१८- श्रीशनि-कथा. १६-विक्रमादित्य और उनके नवरत्न २०- राधवीय- ... . भक्तमाल : २०- सुन्दरोदय : २२- सुन्दरसमुच्चय २३- बाजीदग्रन्थावली २४- जन भोपाल ग्रन्थावली २५- माधवानलकामकन्दला. २६- भीषवावनी सटीक संग्रह .२८-शिखरवंशोत्पत्ति २६- जानकवि, ग्रन्थावली ३०- शिखरिणीसंग्रह सटीक - ३१-- गरीबदासग्रन्थावली : ३२- ठाकुर शिवसिंहजी ३३- महाकवि 'श्रीगंगके कवित्त '.. . .इत्यादि.. ... .... .....
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy