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________________ राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान विद्याभूषण प्रत्य-संग्रह-सूची ] हमार (७९) (१) कविप्रिया (अपूर्ण) ८० ८१ ग्रन्यनाम हमीररासो (२) स्वरोदय (२) रसकौतुक, ( राजसभारंजन ) समस्या प्रबंध, प्रथम प्रभाव ६६ वोहे | (३) मां मलिक मुकाम, २८ मां (४) कवित्तशत ७१ कवित्त (५) पृथ्वीमङ्गल (हितोपदेशपद्यानुवाद) ८ रघुराजविनोद केशवदास महेश कवि रसराशि कर्त्ता : रसराशि "1 द्वारकानाथभट्ट देवर्षि, ( वाणी कवि उपनाम) पुरन्दर लिपिसमय १६वीं. श. १२-६६ १९३७ १६६२ " पत्र संख्या १९६४ ४८ १-५ १-५ १-३ ११-१३ १-१६७ विशेष विवरण प्रादि [ ८२ किसी मथुरावाले चौबेजीसे प्राप्त, नीमके थाने में । चमड़े का गत्ता । कई पत्रे नहीं । लि.क.- कल्याणदासराव पारीक पुरोहिताका । लि. स्था. - सांगानेर । इसके अन्त में जयसिंह तथा जगतसिंहकी प्रशस्ति पर कुछ छन्द है । (सं.) लि.क. - गोपीचन्द शर्मा श्रपूर्ण । महाराज पृथ्वीसिंह जयपुर के लिए १८२६ संवत् में रचित । रचनाकाल १६४१ संवत् | यह प्रति नवलकिशोर प्रेस से छपी हुई पुस्तककी नकल है । यह बहुत सुन्दर काव्य है। रीवा-महाराज रघुराज सिंहजीका यश विविध प्रकारसे वर्णित है। जोधपुर-नरेश, जयपुर- महाराज रामसिंहका यश और थोड़ा इतिहास भी इसमें वर्णित है । रोचफ, मनोहर, रसीले छन्द हैं ।
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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