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________________ सर्वतोमुखी व्यक्तित्व हैं । जीवन की संशुद्धि के लिए और जीवन के विकास के लिए कवि श्री जी हरिजनों को प्रेरणा देते हैं और प्रोत्साहन भी देते हैं। यदि हरिजनों के साथ कोई बुरा व्यवहार करता है, उनके साथ अन्याय करता है, तो कवि श्री जी हरिजनों का ही पक्ष लेते हैं। जोधपुर वर्पावास का प्रसंग है । वाहर से कुछ हरिजन दर्शन के लिए वहाँ पर आए हुए थे। वे लोग वर्षों से जैन-धर्म का पालन कर रहे थे । व्याख्यान के समय वे लोग सामायिक करके परिषदा में बैठने लगे, तो आभिजात्य वर्ग के कुछ लोगों ने उन्हें वहाँ पर बैठाया, जहाँ पर लोग जूते उतारते हैं । जोधपुर के कतिपय उत्साही विचारक युवकों द्वारा जव यह सव मालूम हुआ तो इस प्रसंग पर कवि जी ने वहाँ के आभिजात्य वर्ग को उद्बोधन दिया-"धर्म-स्थान में यह भेद-भाव, जो भगवान् महावीर की परंपरा के सर्वथा विरुद्ध है, सहन नहीं किया जा सकता।" उन्होंने व्याख्यान देने से इन्कार कर दिया। फलतः हरिजनों को उचित स्थान पर-परिषदा में बैठाया गया। . .. सन् पचास में कवि जी का वर्षावास व्यावर में था, एक खटीक सज्जन, जो वर्षों से जैन-धर्म का पालन कर रहे थे-कवि जी से बहुत ही दीन स्वर में बोले-'"गुरुदेव ! मैं जैन तो बन गया हूँ, परन्तु मेरा वारहवाँ व्रत अभी तक नहीं फल सका है। अनेक सन्तों से प्रार्थना भी कर चुका हूँ, परन्तु किसी ने भी कृपा नहीं की।" .. उक्त वात को सुनकर कवि जी ने कहा-"ठीक है, किसी अवसर पर तुम्हारी वात का ध्यान रखेंगे ।" और अवसर आने पर कवि जी स्वयं ही उक्त सज्जन के घर पर गोचरी के लिए गए। पुराण-पन्थी लोगों ने बहुत कुछ शोरगुल किया, परन्तु धीरे-धीरे सव शान्त हो गए। वात सन् पैंतालीस की है। कवि जी उस समय दिल्ली में थे। मुसलमान भाई श्री जमील-जो पन्द्रह-वीस वर्षों से जैन-धर्म का पालन कर रहे थे, जो सामायिक और प्रतिक्रमण भी करते थे, जो अनेक थोकड़े सीख चुके थे उन्होंने कवि जी से कहा- .. "महाराज, मैं जैन बन गया है। परन्तु मेरे हृदय में एक यही वेदना है कि आज तक कोई भी सन्त मेरे द्वार पर नहीं पधारे। आप कृपा करें तो यह वन्धन टूट सकता है, अन्यथा यावज्जीवन यह
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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