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________________ बहुमुखी कृतित्व मन के विकारों से लड़ने वाला प्रचण्ड योद्धा !" और हाँ, "तू वर्द्धमान भी तो था, सतत उत्तरोत्तर बढ़ने वाला ! तू ने आगे बढ़ कर — पीछे हटना, कभी जाना ही नहीं !" हाँ, तो " तू जव आया, "1 भारतवर्ष घोर अन्धकार से घिरा था ! श्रमावस की काली रात छाई हुई थी ! भारत के --- "धर्म पर, कर्म पर, संस्कृति पर, सभ्यता पर । f कुछ लोग अन्धकार को ही प्रकाश मान बैठे थे !"" और "कुछ लोग ऐसे भी थे, जो प्रकाश की खोज में इधर-उधर भटक रहे थे ! मानव जीवन की सब की सब पगडंडियां, अन्धकार में विलुप्त हो चुकी थीं । भटके यात्रियों को नहीं मिल रही थीजीवन की सही राह !" ऐसे समय --- "तू सौभाग्य से आया, दिव्य प्रकाश बनकर ग्राया ! मानवता के पथ पर जगमग जगमग करता, अन्धकार से लड़ता !" साथ ही"तू जात-पाँत से लड़ा १५१
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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