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________________ बहुमुखी कृतित्व १४७ में परमात्मा का स्थान अवश्य है, किन्तु वैसा नहीं, जैसा कि हमारे दूसरे पड़ोसियों के यहाँ है । जैन धर्म मानता है कि आत्मा से अलग परमात्मा का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं । आत्मा ही जब कर्म - बन्धन सेग्राजाद हो जाता है, वासनाओं से सदा के लिए छुटकारा पा लेता है, तव वही परमात्मा वन जाता है । परमात्मा हमारे यहाँ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक पद है, जिसे हर कोई ग्रात्मा अपनी साधना के द्वारा पा सकता है - " परमश्चासौ आत्मा परमात्मा ।" दीवान जी ने बीच में ही कहा- "इसका अर्थ तो यह हुआ कि कोई एक ईश्वर नहीं है, प्रत्युत अनेक ईश्वर हैं । जव यह बात है, तो सृष्टि कौन बनाता है ? कर्मो का अच्छा-बुरा फल कौन भुगताता है ?" मैंने उत्तर दिया--"हाँ, 'एक ही ईश्वर है', हम ऐसा नहीं मानते । स्वरूप की दृष्टि से, गुणों को दृष्टि से तो सब ईश्वर एक ही हैं, कोई भिन्नता नहीं । परन्तु व्यक्तिशः वे अनेक हैं, एक नहीं ।" x X X " गुजरातियों की साहित्यिक अभिरुचि भी खूब बढ़-चढ़कर है । इधर-उधर घूमते-फिरते, लाला रघुनाथदास कसूर तथा मिस्टर दलाल भडुच वालों को दर्शन देते हुए एक ओर से जा रहे थे कि बड़ा ही भव्य एवं विशाल भवन दृष्टिगोचर हुआ। पूछा, तो पता चला कि - 'लायनरी' है । हम में भी कितने ही पुस्तकों के पुराने मरीज थे, फिर क्या था, झट अन्दर दाखिल हो गए । अँग्रेजी, उर्दू, हिन्दी का खासा अच्छा संग्रह था । परन्तु श्राश्चर्य तो हुआ— गुजराती साहित्य का सबसे अधिक संग्रह देखकर ! श्री रमण और के० एम० मुन्शी के सुन्दर गेट-अप वाले उपन्यास आलमारी के शीशों में से चमचमा रहे थे । गुजरात प्रान्त से इतनी दूर पंजाब में, वह भी एकान्त पहाड़ी प्रदेश में गुजराती साहित्य का इतना सुन्दर एवं विस्तृत संग्रह, वस्तुतः गुजरातियों की सुप्रसिद्ध साहित्यिक अभिरुचि एवं मातृभाषा की प्रगाढ़ भक्ति का परिचायक है ।" X x X “शिमला के दर्शनीय स्थानों में गिरजा का महत्व अच्छा है । प्रोटेस्टेन्टों का गिरजा ऊपर के मैदान में है, जो कि 'गिरजा का मैदान' के नाम से ही प्रसिद्ध है । गिरजा बड़ा सुन्दर, भव्य एवं विशाल है, किन्तु कला की दृष्टि से यहाँ कोई विशेषता नहीं है । हाँ, स्वच्छता एवं
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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