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________________ प्रस्थान जीवन - सब कुछ समाज को अर्पित कर दिया है। समाज के गौरव को अक्षुण्ण रखने के लिए उन्होंने त्याग किया है, बलिदान दिया है, तपस्या की है। यह सब कुछ करके भी वे अपने मन में कभी यह नहीं सोचते कि मैंने कुछ किया है, और उसका प्रतिफल मुझे मिलना चाहिए। सब कुछ करके भी कृतित्व के अहंकार से वे कोसों दूर हैं। वे अनासक्त योगी हैं, जो कर्म करके भी कभी कर्म-फल की आकांक्षा नहीं करते। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि उपाध्याय श्रद्धेय अमरचन्द्र जी महाराज हमारी समाज के युग-पुरुष हैं, दिव्य पुरुष हैं और महापुरुष हैं । उपाध्याय अमर मुनि जी समाज के सबसे अधिक लोक-प्रिय नेता हैं। सारा समाज उन से प्रेम करता है, क्योंकि वे भी समाज को प्यार करते हैं। जिसने अपना सारा जीवन ही समाज को समर्पित कर दिया है, भला समाज उसे प्यार क्यों नहीं करेगा ? वे समाज के हैं और समाज उनका अपना है। वे समाज के सेवक हैं क्योंकि समाज-सेवा ही उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य है। वे समाज के नेता हैं, क्योंकि समाज को उनके नेतृत्व में अडिग विश्वास है। आज समाज में कौन व्यक्ति है, जो उनसे और उनके कार्यों से परिचित न हो ? अतः उनके परिचय की विशेष आवश्यकता नहीं है। श्रमण-संघटन और साहित्य-रचना ही स्वयं उनका वास्तविक परिचय है। पटियाला राज्य में नारनौल ( गोधा ) आपकी जन्म-भूमि है। माता का दुलार, पिता का स्नेह, भाई-बहिनों का प्रेम और परिजनों का प्यार आपको खूब खुल कर मिला। साहस, वीरता और कप्टसहिष्णुता आपके पैतृक गुण हैं। क्षत्रिय कुल में जन्म होने से सदा निर्भय रहना आपका सहज स्वभाव है। आपके पिता लालसिंह जी जैन-सन्तों के तप और त्याग से बहुत प्रभावित थे । सन्तों की वाणी सुनने का उनको बड़ा शौक था । माता चमेली देवी के निर्मल हृदय में भी सन्तों के प्रति सहज भक्ति-भाव की धारा प्रवहमान थी । माता-पिता के साथ में पुत्र भी धीरे-धीरे धर्म
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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