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________________ १०७ वहुमुखी कृतित्व को कहा है, किन्तु फिर भी मानव-चरित्रों में कवि के काव्य 'राजा हरिश्चन्द्र' का विस्तृत वर्णन मिलता है, और मानव के लिए कवि की समस्त कल्पनाएं हरिश्चन्द्र में प्रस्तुत हैं। हरिश्चन्द्र से शिक्षा दिलाकर कवि मानव-कल्याण की कल्पना करता है। कवि ने हरिश्चन्द्र का परिचय इस प्रकार दिया है "हरिश्चन्द्र थे सत्य के व्रती एक भूपाल" कवि ने अपने काव्य का माध्यम उस महापुरुष को बनाया है, जिसकी यश-चर्चा इन्द्र की सभा में होती थी. "हरिश्चन्द्र तो सत्य मूर्ति है, नहीं मनुज वह साधारण" - अमर कवि ने मानव के रूप में एक ऐतिहासिक महापुरुप, सफल साधक, न्यायोचित सम्राट्, एक विनयशील पुरुष का अङ्कन किया है। उनकी लेखनी से उस महापुरुप का चरित्र अत्यधिक सुन्दर वन पड़ा है। कवि जी ने मानव-मन की प्रत्येक भावनाओं का बड़ा ही मनोरम चित्रण किया है । देश, काल एवं परिस्थितियों का ध्यान रखकर शब्द-चयन की जिस शक्ति का परिचय हमें अमर-काव्य में प्राप्त हया है, अन्यत्र यह कुछेक कवियों में ही मिलता है। सत्यवादी हरिश्चन्द्र से कोई भारतवासी अनभिज्ञ नहीं । केवल सत्य और अहिंसा की रक्षा के लिए राज्य का त्याग कर हरिश्चन्द्र ने भनवान् राम के अयोध्या-त्याग का स्मरण हमें करा दिया है । राम की अयोध्या नगरी में हरिश्चन्द्र राजा हुए, उस सरयू के तीर पर उन्होंने अपने शैशव के मधुर स्वप्नों को साकार किया और फिर राम की ही तरह अयोध्या का परित्याग भी हरिश्चन्द्र ने किया-कितना साम्य है दोनों महापुरुषों में। अतः निर्विवाद कहना पड़ेगा कि अपने काव्य का नायक चयन करने में कवि जी की जो प्रतिभा हमें मिलती है, वह अद्वितीय है। उनके काव्य का नायक वह महापुरुष है, जिसमें मानव की समस्त प्रवृत्तियाँ भरी पड़ी है। अच्छे पात्रों का चित्रण करते समय कुछ खल-पात्रों की भी आवश्यकता होती है। क्योंकि यह तो निर्विवाद सत्य ही है कि असुन्दर के विना सुन्दर वस्तु अर्थहीन है-दुःख के विना सुख अकल्पित है, उसी प्रकार अच्छे पात्रों के चित्रण के साथ खल-पात्र भी आवश्यक हैं, उनके द्वारा अच्छे पात्रों का चित्रण वड़ा सुन्दर बन जाता है। कौशिक मुनि 'सत्य हरिश्चन्द्र' के ऐसे ही पात्र के रूप में हमारे सम्मुख उपस्थित हैं।
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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