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________________ ર व्यक्तित्व और कृतित्व महत्त्वपूर्ण काम छोड़कर भी वे जिज्ञासु को कुछ सिखाना अधिक पसन्द करते हैं। समाज में उनके छात्रों की बहुत बड़ी संख्या है, सन्त भी और गृहस्थ भी । कवि जी के छात्रों में सबसे पहले छात्र हैं— अपने ही परिवार के स्नेही साथी पं० श्री प्रेम मुनि जी और अमोलक मुनि जी । दोनों ने संस्कृत, प्राकृत और आगमों का अध्ययन कवि जी से किया है । श्री प्रेम मुनि जी ने तत्त्वार्थ सूत्र और कर्म-ग्रन्थों का अध्ययन भी किया है । आप अच्छे प्रवक्ता, शान्त स्वभावी मुनि हैं । ग्रधीत विपय को सरलता से समझा देने की आपकी वचन - कला उल्लेखनीय है । पंजाब में फरीदकोट वर्षावास में चन्दन मुनि जी ने कवि श्री जी से प्राकृत भाषा और आगमों का अध्ययन किया । चन्दन मुनि जी पंजाब के प्रसिद्ध सन्तों में से एक हैं । आपने अनेक कविताओं की पुस्तकें रची हैं । साथ में ग्राप मधुर वक्ता भी हैं । कोमल हृदय, शान्त प्रकृति र मधुरं स्वभाव - ग्राप के सन्त जीवन की विशेषताएं हैं । योगनिए श्रद्धेय रामजीलाल जी महाराज के शिष्य मुनि रामकृष्ण कवि जी से संस्कृत साहित्य का बहुत दिनों तक अध्ययन करते रहे हैं । मुनि रामकृष्ण जी संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी भाषा के विद्वान् हैं । मधुर प्रवक्ता और सुयोग्य लेखक भी हैं । गणी उदयचन्द जी महाराज के पौत्र शिष्य और श्री रघुवर दयाल जी महाराज के प्रिय शिष्य श्रभय मुनि जी ने दिल्ली वर्षावास में कवि जी से भगवती सूत्र का तथा अन्य ग्राध्यात्मिक ग्रन्थों का अव्ययन किया । अभय मुनि जी पंजाव के उदीयमान सन्तों में से एक हैं । आपकी भापण शैली मधुर और मनोहर है । ग्रापके भापण को सुनकर जनता प्रेम और ग्रानन्द में भूम जाती है । व्यावर वर्षावास में उपाचार्य श्रद्धेय गणेशीलाल जी महाराज के योग्य विद्वान् शिष्य मुनि नेमिचन्द जी ने कवि जी से प्रज्ञापना- सूत्र की संस्कृत टीका पढ़ी | मुनि नेमिचन्द जी ने समय-समय पर विचार चर्चा करके कवि जी की ज्ञान - राशि में से बहुत कुछ लाभ लिया। मुनि जी
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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