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________________ विधियाँ। २२१ इस के स्थान में 'सज्झाय में हूँ' ऐसा बोले और तीन नवकार के बदले एक नवकार गिने । पीछे शाम के पडिलेहण में इच्छामि० दे कर 'पडिलेहण करूं?' इस आदेश से लमा कर विधिपूर्वक पडिलेहण करे । बाद देव-वन्दन, माँडले और प्रतिक्रमण भी पूर्ववत् करे। पिछली रात प्रातः उठ कर नवकार मन्त्र पढ़ के इरियावहिय कर के कुसुमिण-दुसुमिण का कायोत्सर्ग कर के प्रतिक्रमण करे । पीछे पडिलेहण करे । उस की विधि इस प्रकार है:-. ___ इरियावहिय कर के 'इच्छामि०, इच्छा० पडिलेहण करूं? इच्छं' कह कर पूर्वोक्त पाँच वस्तु पडिलेहे । पीछे 'इच्छामि०, इच्छा० पडिलेहणा पडिलेहावोजी' कह कर जो अपने से बड़ा हो उस का वस्त्र पडिलेहे । पीछे 'इच्छामि०, इच्छा० उपधि मुहपत्ति पडिलेहुं ? इच्छं' कह कर मुहपत्ति पडिलेह कर 'इच्छामि०, इच्छा० उपधि संदिसाहुं ? इच्छं; इच्छामि०, इच्छा० उपधि पडिलेहुं ? इच्छं' कह कर बाकी के सब वस्त्र पडिलेहे । बाद इरियावहिय कर के पूर्वोक्त रीति से कूड़ा निकाले और परठवे । पीछे देव-वन्दन कर सज्झाय कह कर माँगी हुई चीजें उस वक्त पौषध-रहित गृहस्थ को सिपुर्द करे । बाद पोसह पारे। आठ.पहर के तथा रात्रि के पौषध पारने की विधि । - इच्छामि०, इच्छा० इरिया०, एक लोगस्स का काउस्सग्ग पार के प्रकट लोग्स्स कह कर 'इच्छामि०, इच्छा० मुहपत्ति पडिलेहुं !
SR No.010596
Book TitleDevsi Rai Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages298
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size16 MB
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