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________________ २०९ विधियाँ । पीछे बैठ कर तीसरे आवश्यक की मुहपत्ति पडिलेह कर द्वादशावर्त-वन्दना देवे । बाद "इच्छा० राइयं आलोउं ? इच्छं, आलोएमि जो मे राइओ०" पढ़ कर सात लाख, अठारह पापस्थान की आलोचना कर "सव्वस्स वि राइय०" कह के बैठ कर दाहिने घुटने को खड़ा कर “एक नवकार, करेमि भंते०, इच्छामि० पडिक्कमिउं जो मे राइओ०" कह कर वंदिता सूत्र पढ़े। बाद द्वादशावर्त-वन्दना दे कर "इच्छा० अब्भुट्टिओमि अभिंतरराइयं खामेउं ? इच्छं, खाममि राइयं०" कहे । बाद द्वादशावर्त-वन्दना कर के खड़े खड़े "आयरिअउवज्झाए०, करेमि भंते०, इच्छामि ठामिः, तस्स उत्तरी ०, अन्नत्थ०" कह कर सोलह नवकार का कायोत्सर्ग पार के प्रकट लोगस्स पढ़ कर बैठ के मुहपत्ति पडिलेह कर द्वादशावर्त-वन्दना कर के तीर्थ-वन्दन पढ़े। फिर पच्चक्खाण कर के “सामायिक, चउवीसत्थो, वन्दना, पडिक्कमण, काउस्सग्ग, पच्चक्खाण किया है जी" कह कर बैठ के “ इच्छामो अणुसटिंठ, नमो खमासमणाणं, नमोऽर्हत्०" पढ़ कर “विशाललोचनदलं०" पढ़े । फिर नमुत्थुणं०, अरिहंत चेइयाणं०, अन्नत्थ० और एक नवकार का काउस्सग्ग पार के 'कल्लाणकंद' की प्रथम थुइ कहे । बाद लोगस्स आदि पढ़ कर क्रम से चारों थुइ के समास होने पर बैठ के नमुत्थुणं पढ़ कर इच्छामि०पूर्वक "भगवानहं, आचार्यहं, उपाध्यायहं, सर्वसाधुहं" एवं चार खमासमण दे कर दाहिने हाथ को चरवले या आसन पर रख के 'अड्ढाइज्जेसु' पढ़े । बाद इच्छामिपूर्वक सीमंधरस्वामी का चैत्य
SR No.010596
Book TitleDevsi Rai Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages298
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size16 MB
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