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________________ भरहेसर की सज्झाय । १५३ शालिभद्र, भद्रबाहु स्वामी, दशार्णभद्र, प्रसन्नचन्द्र, यशोभद्र सूरि ॥३॥ जम्बूस्वामी, वकचूल राजकुमार, गजसुकुमाल, अवन्तिसुकुमाल, धन्ना श्रेष्ठी, इलाचीपुत्र, चिलातीपुत्र, युगबाहु मुनि॥४॥ __ आर्यमहागिरि , आर्यरक्षित सूरि , आर्यसुहस्ति सूरि, उदायन नरेश, मनकपुत्र, कालिकाचार्य, शाम्बकुमार, प्रद्यम्नकुमार, मूलदेव ॥५॥ प्रभवस्वामी, विष्णुकुमार, आर्द्रकुमार, दृढप्रहारी, श्रेयांस. कुमार, कूरगडु साधु, शय्यंभव स्वामी और मेघकुमार ॥६॥ ___ इत्यादि महापराक्रमी पुरुष, जो अनेक गुणों से युक्त हो गये हैं और जिन का नाम लेने से ही पाप-बन्धन टूट जाते हैं; वे हमें सुख देवें ॥७॥ * सुलसा चंदनबाला, मणोरमा मयणरेहा दमयंती। नमयासुंदरी सीया, नंदा भद्दा सुभद्दा य ॥८॥ रायमई रािसदत्ता, पउमावइ अंजणा सिरीदेवी । जिट्ट सुजिट्ट मिगावइ, पभावई चिल्लणादेवी ॥९॥ बंभी सुंदरि रुप्पिणि, रेवइ कुंती शिवा जयंती अ । * सुलसा चन्दनबाला, मनोरमा मदनरेखा दमयन्ती । नर्मदासुन्दरी सीता, नन्दा भद्रा सुभद्रा च ॥८॥ राजीमती ऋषिदत्ता, पद्मावत्यञ्जना श्रीदेवी । ज्येष्ठा सुज्येष्ठा मृगावती, प्रभावती चेल्लगादेवी ॥९॥ ब्राझी मुन्दरी रुक्मिणी, रेवती कुन्ती शिवा जयन्ती च ।
SR No.010596
Book TitleDevsi Rai Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages298
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size16 MB
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