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________________ [ २ ] ख्यालायत ( क्रमाङ्क ५३३), रावत प्रतापसिंघ म्होकमसिंघ हरिसिंघीतरी वात ( क्रमाङ्क ५५३), मुंहणोत जोगीदास कृत शत्रुभेद ( क्रमाङ्क ६३६) और महेश कवि कृत हमीर रासो ( क्रमाङ्क ७६४) विशेष उल्लेखनीय हैं । कतिपय महत्त्व - पूर्ण ग्रंथों के यादि अन्त भो सूची के अन्त में परिशिष्ट सं० १ के रूप में दिये गये हैं । समस्त ग्रंथों के परिचय वर्णक्रमानुसार लिखे गये हैं और पाठकों की सुविधा हेतु परिशिष्ट सं० २ में कर्तानामानुक्रमणिका भी प्रस्तुत की गई है । प्रस्तुत सूची मे १६वीं सदी से २० वीं सदी विक्रमी तक रचित एवं लिखित कृतियों का संकलन किया गया है। उदाहरणार्थ प्राचीनतम रचित कृति छोहल कवि कृत “पञ्चसहेलीरा दूहा" ( क्रमाङ्क ३६२ ) वि० सं० १५७५ की है और प्राचीनतम लिखित प्रति रतनचरित्र कृत “सम्यकत्व - कौमुदी" ( क्रमाङ्क ६ε३) वि० स० १६०६ की है। सूची की अधिकांश कृतियां १८ वीं और १९ वीं सदी विक्रमी में रचित और लिखित हैं। सूची से प्रकट है कि ग्रंथ रचना और लेखन का कार्य मुख्यतः राजस्थान, मालवा और गुजरात के विभिन्न स्थानों में हुआ है, क्योंकि सम्वद्ध काल के प्रमुख भारतीय विद्या-केन्द्र इसी क्षेत्र में विद्य मान थे । प्रस्तुत सूची से यह भी स्पष्ट होता है कि ग्रंथों की रचना और लेखन सम्बन्धी कार्यों में पुरुषों के साथ-साथ अनेक विदुषी महिलाएँ भी सक्रिय भाग लेती थीं । सूची के ग्रंथ-परिचय-पत्र श्रीयुत् नाथूलालजी त्रिवेदी, साहित्याचार्य के सहयोग से तैयार किये गये हैं । श्रीयुत् अगरचन्दजी नाहटा ने सूची को देख कर यावश्यक संशोधन करने की कृपा की है। सूची का निर्माण परम श्रद्धेय पद्मश्री मुनि जिनविजयजी और श्रीयुत् गोपालनारायणजी बहुरा के निर्देशन में किया गया है । तदर्थ मैं उक्त सभी महानुभावों के प्रति प्रभारी हूँ । राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर श्री गणेश चतुर्थी, सं० २०१८ वि० पुरुषोत्तमलाल मेनारिया, एम. ए., साहित्यरत्न सम्पादक
SR No.010594
Book TitleRajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size5 MB
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