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________________ राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] [ १४१ केहो हिवै जाऊ फिथी कहो जिकू , तिकू करौ छपी ही न छुटु म्हारो छेहडो न छाडै जी। जागो त्यु ही हालो आप हू तो क्यू ही, कहू नही देषो मान भाडै जी । इति जोधपुरी बोली सपूर्ण ।। लिपीकृत चेला केसरचद ॥ समापना । ३५४६ (२) सेरसिंह मेडतिया आदि राजानोका सपषरा आदि- गीत जाति सपषरो मेरमिघ मेडतीयारो नै कुसलसिघ चापावतगे। चवडै प्रावोया धरारै बेध बेहु राजा बधे चाल, बेहुई अराबा दगे छुटे गोला बाण । बलावली सिधुराग वागिया झुझाउ बाजा, अडे बेहु अाभ लाग उकल पाराण ॥ १ । अन्त- रगमै पनगा जैसा कसी तग अग रंभा, आषती पिलगा पोढे मकोउती अग। नष चष घाल घणु घेरिया कुरग बचा, भेट जेल लाजी भला भागरा तरग ॥ ७ ॥इति।। ३५४६ (१०) सोनीगरा वीरमदेरी वारता आदि-॥०॥ अथ वार्ता १ सोनिगरा वीरमदेरी ।। गढ जालोर सोनिगरा वणवीरजीर कवर दोइ हुवा। वडो कवर कानडदे । छोटो राणगदे । टीक कानडदेजी बैठा। गढ जालोर राज करै । तिको एकरण समीय कानडदेजी सिकार चढीया। तिको जालोरसु कोस १० तथा ११ उपरा गया नै राति पडी । कनै एक षवास रह्यो । अन्त- तरै अगर चदणरो घर वणायौ। माथो धड गोद माहे लेने सती हुई। तिका षावदसू जाय सतलोकमै भेली हुई। पातिसाह अलाबदीन दिली गया। आ इतरी वात बीरमदे सोनिगरारी कही। सूरवीर दातार तिगरै मन लही। सबत १३३७ अलाबदीन पातिसाह जालोर आयो नै सबत १३४९रा फागुण वदि १३ वीरमदे सोनिगरो काम आयो नै गढ जालोर भागौ। इति वीरमदे सोनिगरारी वार्ता संपूर्ण । ४६०३ हमीररासो (हमीरायन) आदि- श्री गनेसाय नम हमीराईन लीषत ।। कवीन- गवरीनद आनद चद लीलाट वीराजैत । च्यार भुज कर फरस सरस भुषन अग राजत ।। कर कमंडल जयमाल लाल वसत्र वोह सुहावै । मधुर स्वगध स्वरणमय रची पोर उदभाहन कीन । हो हय प्रसन सुधी वुधी धनी जौ कथ कवीत प्रमा माण ॥१
SR No.010593
Book TitleRajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size11 MB
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