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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ]
[ १११ जिहा रहइ अवर अवनी चद्र । जिहा रवि तारा ध्रुव गिरि इद्र । सागर सपत दीपनो वास । तिहा लगि रहो कथा परकाम ॥ १६ उजेरिणइ रहि चत्रमासि । कया रची ए शास्त्र विभासि ।। विनोद वीर वृद्धि रस वात । पडित रस माहि विष्यात ।। १७ भही पानना जाम पसाय । विद्या भरणी भानु भट पाय । मित्र लाडजी सुरिणवा काजि । वाची बिडाल वीने राजि ॥ १८ कहइ वाचक मगन माणिक्य । अबड कथा रस छइ प्राविक्य । ते गुरु कृपा तरणो आवेस । पूरा सात हा आदेस ।। १६ इति श्री मुनि रतन सूरास । गोरष जोगिनी दीधा सीस ।
अबड कथानेक आदेस । कीधा सात ने कह्या विसेस ।। २० इति श्री गोरष जोगिनी सप्त आदेश अबड विद्याधर रास मपूर्ण। सवत १६६३ वर्षे ज्यप्ठ शुदि १४ भौमवासरे ५० श्री हेमसागर गरिण शिष्य खिमासागर वाचनार्थे लिखित पालगजा नगरे शुभभयतु । ३६ ११२४ (९)
अगडदत्त चोपाई आदि- श्रीसौभाग्यशेखरगणिसद्गुरुभ्यो नम ॥
आदि जिणेमर प्रणमु पाय । समरू सरसति सामिणि माय ।
कर जोडीनी मागु मान । सेवकनि देजो वरदान ॥ १ अन्त- अगडदत्त मुनि तणउ चरित्र । भणता गुणता हुइ देह पवित्र ।
पडित हर्षदत्त सीस इम कहइ । भरणइ गुरिणते सिव सुष लहइ ।। ३६ इति श्री अगडदत्त मुनि चउपई मपूर्णा । लिषित न्यानशेखरेण भाद्र राउल पठन कृते ॥ श्री पार्श्वनाथ प्रमादथी सुष सपत्ति हु ॥ श्रीस्तात् ।। ४१ ३५६२ (१४) अचलदास खोचीरी वारता
आदि- अथ अचलदास पीचीरी वात लीषते ॥ गढ गागुरणरो धणी अचलदाम षीची गागरणमे राज करे छ। राजा राजने परजा चेन रे छै। नगरीरो लोक वडो। तीरण राजारे राणी लाला मेवाडी छै। सेहस मेवाडरो राणो मोकल छ । तीणरे वेटी लाला तीका अचलदासजी षीची परणीया छ ।।
___ अन्त- गणा वरम लग राज गणोई कीदो। जतरे वृद अवसता आय लागी छ । तीण ममै गढ मामुगढरो पातसाह हमीर सुलताण गढ गागुरण उपर चढने आयो। तरे अचलदासजी षीची गढ सजीयो छै। गणा दीन सुधी वेढ कीदी। भली जुगतमु काम आयो ने लाला मेवाडी ने उमा सापलीरो समणो भागो ने दोउ सतीया हुई। परयवी माहे मोटो नाम गो हुइयो।
इति श्री ठाकर अचलदास षीचीरी वात सपुरण ॥ स० १६७०रा असाढ सुद १५ द० गरा हीराचदरा छ । श्री ॥१॥