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________________ उ० २० पायच्छित्तविही] सुत्तागमे ९१३ पुण्णिमाओ-)आसोय(किण्ह)पाडिवए, कत्तिय(पुण्णिमाओ-मग्गसिरकिण्ह)पाडिवए [वा] ॥ १३२८ ॥ जे भिक्खू पोरिसिं सज्झायं उवाइणावेइ उवाइणावेंतं वा साइज्जइ ॥१३२९ ॥ जे भिक्खू चउकालं सज्झायं न करेइ न करेंतं वा साइज्जइ ॥१३३०॥ जे भिक्खू असज्झाइए सज्झायं करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ १३३१ ॥ जे भिक्खू अप्पणो असज्झाइए सज्झायं करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ १३३२ ॥ जे भिक्खू हेटिलाइं समोसरणाई अवाएत्ता उवरिल्लाइं समोसरणाई वाएइ वाएंतं वा साइजइ ॥ १३३३ ॥ जे भिक्खू णव बंभचेराई अवाएत्ता उवरिं सुयं वाएइ वाएंतं वा साइजइ ॥ १३३४ ॥ जे भिक्खू अपत्तं वाएइ वाएंतं वा साइजइ ॥ १३३५ ॥ जे भिक्खू पत्तं ण वाएइ वाएंतं वा साइजइ ॥ १३३६ ॥ जे भिक्खू अव्वत्तं वाएइ वाएंतं वा साइज्जइ ॥ १३३७ ॥ जे भिक्खू वत्तं ण वाएइ ण वाएंतं वा साइजइ ॥ १३३८॥जे भिक्खू दोण्हं सरिसगाणं एक सं(सि)चिक्खावेइ एक ण संचिक्खावेइ 'एक वाएइ एक ण वाएइ तं करंतं वा साइज्जइ ॥ १३३९ ॥ जे भिक्खू आयरियउवज्झाएहिं अविदिण्णं गिरं आइयइ आइयंतं वा साइज्जइ ॥ १३४० ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियगारत्थियं वाएइ वाएंतं वा साइजई ॥ १३४१ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियगारत्थियं (वायणं) पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजई॥ १३४२ ॥ जे भिक्खू पासत्थं वाएइ वाएंतं वा साइज्जइ ॥१३४३॥ जे भिक्खू पासत्थं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥१३४४ ॥ जे भिक्खू ओसण्णं वाएइ वाएंतं वा साइजइ ॥१३४५ ॥ जे भिक्खू ओसणं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ ॥१३४६॥जे भिक्खू कुसीलं वाएइ वाएंतं वा साइजइ ॥१३४७॥ जे भिक्खू कुसीलं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ ॥ १३४८॥ जे भिक्खू णितियं वाएइ वाएंतं वा साइजइ ॥ १३४९ ॥ जे भिक्खू णितियं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ ॥ १३५० ॥ जे भिक्खू संसत्तं वाएइ वाएंतं वा साइजइ ॥ १३५१॥ जे भिक्खू संसत्तं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ । तं सेवमाणे आवजइ चाउम्मासियं परिहारहाणं उग्घाइयं ॥ १३५२ ॥ णिसीहऽज्झयणे एगूणवीसइमो उद्देसो समत्तो ॥ १९ ॥ वीसइमो उद्देसो जे भिक्खू मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, अपलिउंचिय आलोएमाणस्स मासियं, पलिउंचिय आलोएमाणस्स दोमासियं ॥ १३५३ ॥ जे भिक्खू १ अण्णधम्मिओ वाइजंतो वायणाए दुरुवओगं करेजत्ति पायच्छित्तठाणं । २ आगमट्ठो दुरहिगमो परहम्मिओ आगमाणमणहिगमणिज्जा अट्ठविवजासं कुणेजत्ति पायच्छित्तं । ५८ सुत्ता.
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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