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________________ ९०४ सुत्तागमे [णिसीहसुत्तं ॥ ९६१॥ जे भिक्खू अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा अप्पणो दीहाई पासरोमाई कप्पावेज वा संठवावेज वा कप्पावेंतं वा संठवावेंतं वा साइजइ ॥९६२-१॥ केसरोमाई...॥९६२-२॥जे भिक्खू अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा अप्पणो अच्छिमलं. वा कण्णमलं वा दंतमलं वा णहमलं वा णीहरावेज वा विसोहावेज वा णीहरावेंतं वा विसोहावेंतं वा साइजइ ॥ ९६३ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा अप्पणो कायाओ सेयं वा जल्लं वा पंकं वा मलं वा णीहरावेज वा विसोहावेज वा णीहरावेंतं वा विसोहावेंतं वा साइजइ॥९६४ ॥जे भिक्खू अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे अप्पणो सीसदुवारियं कारवेइ कारवेंतं वा साइजइ ॥९६५॥जे भिक्खू आगंतागारेसु वा आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा उच्चारपासवणं परिढवेइ परिहवेंतं वा साइजइ ॥ ९६६ ॥ जे भिक्खू उजाणंसि वा उजाणगिहंसि वा उज्जाणसालंसि वा णिजाणंसि वा णिज्जाणगिहंसि वा णिजाणसालंसि वा उच्चारपासवणं परिढुवेइ परिवेंतं वा साइज्जइ ॥ ९६७ ॥ जे भिक्खू अमुसि वा अट्टालयंसि वा चरियंसि वा पागारंसि वा दारंसि वा गोपुरंसि वा उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिठवेंतं वा साइज्जइ ॥ ९६८ ॥ जे भिक्खू दगंसि वा दगमगंसि वा दगपहंसि वा दगतीरंसि वा दगाहा ठाणंसि वा उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ ॥ ९६९ ॥ जे भिक्खू सुण्णगिहंसि वा सुण्णसालंसि वा भिन्नगिहंसि वा भिण्णसालंसि वा कूडागारंसि वा कोट्ठागारंसि वा उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिहवेंतं वा साइज्जइ ॥ ९७० ॥ जे भिक्खू तणगिहंसि वा तणसालंसि वा तुसगिहंसि वा तुससालंसि वा छु(भु)सगिहंसि वा छुससालंसि वा उच्चारपासवणं परिढुवेइ परिट्ठवेंतं वा साइज्जइ ॥ ९७१ ॥ जे भिक्खू जाणगिहंसि वा जाणसालंसि वा जुग्गगिहंसि वा जुग्गसालंसि वा उच्चारपासवणं परिहवेइ परिहवेंतं वा साइज्जइ ॥९७२ ॥ जे भिक्खू पणियसालंसि वा पणियगिहंसि वा परियासालंसि वा परियागिहंसि वा कुवियसालंसि वा कुवियगिहंसि वा उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिवेंतं वा साइजइ ॥ ९७३ ॥ जे भिक्खू गोणसालंसि वा गोणगिहंसि वा महाकु(लसा)लंसि वा महागिहंसि वा उच्चारपासवणं परिट्ठवेइ परिवेंतं वा साइजइ ॥ ९७४ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा असणं वा ४ देइ देंतं वा साइजइ ॥ ९७५ ॥ जे भिक्खू पासस्थस्स असणस्स]णं वा ४ देइ देंतं वा साइजइ ॥ ९७६ ॥ जे भिक्खू पासत्थस्स असणं वा ४ पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ ॥ ९७७ ॥ जे भिक्खू ओसण्णस्स असणं वा ४. देइ देंतं वा साइजइ ॥ ९७८ ॥ जे भिक्खू ओसण्णस्स असणं वा ४ पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइजइ ॥ ९७९ ॥ जे भिक्खू कुसीलस्स असणं वा
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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