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________________ उ० ११ चाउम्मासियमणुग्धाइयं] सुत्तागमे ८८९ पधोएज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएतं वा साइज्जइ ॥ ६९० ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा दंते फूमेज वा रएज वा फूमेंतं वा रएंतं वा साइजइ ॥ ६९१ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा उढे आमज्जेज वा पमज्जेज वा आमजंतं वा पमजतं वा साइज्जइ ॥ ६९२ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा उढे संवाहेज वा पलिमद्देज वा संवाहेंतं वा पलिमबेतं वा साइजइ ॥ ६९३ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा उढे तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा मक्खेज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेंतं वा साइजइ ॥ ६९४ ॥जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा उठे लोद्धेण वा कक्केण वा उल्लोलेज वा उव्वट्टेज वा उल्लोलेंतं वा उन्वटेतं वा साइजइ ॥ ६९५ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा उढे सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइजइ ॥ ६९६ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा उढे फूमेज वा रएज वा फूमेंतं वा रएंतं वा साइज्जइ ॥ ६९७ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा दीहाइं उत्तरोट्ठरोमाइं कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ॥ ६९८ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा दीहाइं अच्छिपत्ताई कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ॥ ६९९॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा अच्छीणि आमज्जेज वा पमजेज वा आमजंतं वा पमज्जंतं वा साइजइ ॥७०० ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा अच्छीणि संवाहेज वा पलिमद्देज वा संवाहेंतं वा पलिमद्दतं वा साइजइ ॥ ७०१ ॥जे भिक्ग्बू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा अच्छीणि तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा मग्वेज्ज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेंतं वा साइजइ ॥ ७०२ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा अच्छीणि लोद्धेण वा कक्केण वा उल्लोलेज वा उव?ज वा उल्लोलेंतं वा उव्वदे॒तं वा साइजइ ॥ ७०३ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा अच्छीणि सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छादन वा पधोएज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइज्जइ ॥ ७०४ ॥ जे भिक्खू अण्णउन्थियस्स वा गारत्थियस्स वा अच्छीणि फूमेज वा रएज वा फूमेंतं वा रएंतं वा साइजह ॥७०५ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा दीहाई भुमगरोमाई कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइजइ ॥ ७०६ ॥ जे भिक्त अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा दीहाई पासरोमाइं कप्पेज वा संठवेज था कप्पन वा संठवेंतं वा साइजइ ॥ ७०७-१ ॥'केसरोमाइं॥ ७०७-२॥
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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