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________________ ८७० सुत्तागमे [णिसीहसुत्तं वडियाए अप्पणो कार्यसि गंडं वा पिलगं वा अरइयं वा अंसियं वा भगंदलं वा अण्णयरेणं तिक्खेणं सत्थजाएणं अच्छिदित्ता विच्छिदित्ता णीहरित्ता विसोहेत्ता उच्छोलेत्ता पधोएत्ता आलिंपेत्ता विलिंपेत्ता अभिगेत्ता मक्खेत्ता अण्णयरेणं धूवणजाएणं धूवेज वा पधूवेज वा धूवेंतं वा पधूवेंतं वा साइजइ ॥ ४३२ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो पालुकिमियं वा कुच्छिकिमियं वा अंगुलीए णिवेसिय २ णीहरेइ णीहरेंतं वा साइज्जइ ॥ ४३३ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो दीहाओ णहसिहाओ कप्पेज वा संठवेज वा कप्पेतं वा संठवेंतं वा साइजइ ॥ ४३४ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो दीहाइं जंघरोमाई कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ॥ ४३५ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो० कक्खरोमाइं कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइजइ ॥ ४३६ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो० मंसुरोमाइं कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइजइ ॥ ४३७ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो णासारोमाई कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ॥ ४३८ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो० चक्खुरोमाइं कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइजइ ॥ ४३९-१॥जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो० कण्णरोमाइं कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ॥ ४३९-२ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो दंते आघंसेज वा पधंसेज वा आघंसंतं वा पसंतं वा साइजइ ॥ ४४० ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो दंते उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइज्जइ ॥ ४४१ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो दंते फूमेज वा रएज वा फूतं वा रएंतं वा साइजइ ॥ ४४२ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो उढे आमज्जेज्ज वा पमजेज वा आमजंतं वा पमजंतं वा साइजइ ॥ ४४३ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो उढे संवाहेज वा पलिमद्देज वा संवाहेंतं वा पलिमद्देतं वा साइजइ ॥ ४४४ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो उढे तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा मक्खेज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेंतं वा साइजइ ॥ ४४५ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो उठे लोद्धेण वा कोण वा उल्लोलेज वा उव्वद्वेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वदे॒तं वा साइज्जइ ॥ ४४६ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो उढे सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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