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________________ ८५२ सुत्तागमे [णिसीहसुत्तं साइजइ ॥ ६५ ॥ जे भिक्खू पयमग्गं वा संकमं वा आलंबणं वा सयमेव करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ६६ ॥ जे भिक्खू दगवीणियं सयमेव करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ६७ ॥ जे भिक्खू सिक्कगं वा सिक्कगणंतगं वा सयमेव करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ६८ ॥ जे भिक्खू सोत्तियं वा रज्जुयं वा चिलिमिलिं वा सयमेव करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥ ६९ ॥ जे भिक्खू सूईए उत्तरकरणं सयमेव करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ७० ॥ जे भिक्खू पिप्पलयस्स उत्तरकरणं सयमेव करेइ करेंतं वा साइज्जइ॥१॥ जे भिक्खू णहच्छेयणगस्स उत्तरकरणं सयमेव करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ७२ ॥ जे भिक्खू कण्णसोहणयस्स उत्तरकरणं सयमेव करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥ ७३ ॥ जे भिक्खू लहुसगं फरुसं वयइ वयंतं वा साइजइ ॥ ७४ ॥जे भिक्खू लहुसगं मुसं वयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥ ७५ ॥ जे भिक्खू लहुसगं अदत्तं आदियइ आदियंतं वा साइज्जइ ॥ ७६ ॥ जे भिक्खू लहुसएण सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा हत्थाणि वा पायाणि वा कण्णाणि वा अच्छीणि वा दंताणि वा णहाणि वा (मुहं वा) उच्छोलेज वा पधोवेज वा उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा साइज्जइ ॥ ७७ ॥ जे भिक्खू कसिणाई वत्थाई धरेइ धरतं वा साइजइ ॥ ७८ ॥ जे भिक्खू अभिण्णाइं वत्थाई धरेइ धरेंतं वा साइजइ ॥ ७९ ॥ जे भिक्खू लाउयपायं वा दारुयपायं वा मट्टियापायं वा सयमेवे परिघट्टेइ वा संठवेइ वा जमावेइ वा परिघट्टेतं वा संठवेंतं वा जमातं वा साइजइ ॥ ८० ॥ जे भिक्खू दंडगं वा अवलेहणं वा वेणुसूइयं वा सयमेव परियट्टेइ वा संठवेइ वा जमावेइ वा परियटेंतं वा संठवेंतं वा जमावंतं वा साइज्जइ ॥ ८१ ॥ जे भिक्खू णियगवेसियगं पडिग्गहगं धरेइ धरेतं वा साइज्जइ ॥ ८२ ॥ जे भिक्खू परगवेसियगं पडिग्गहगं धरेइ धरेंतं वा साइज्जइ ॥ ८३ ॥ जे भिक्खू वरगवेसियगं पडिग्गहगं धरेइ धरेंतं वा साइजइ ॥ ८४ ॥ जे भिक्खू बलगवेसियगं पडिग्गहगं धरेइ धरेंतं वा साइजइ ॥ ८५ ॥ जे भिक्खू लवंगवेसियगं पडिग्गहगं धरेइ धरेंतं वा साइजइ ॥ ८६ ॥ जे भिक्खू नितियं अग्गपिंडं भुंजइ भुजंतं वा साइजइ ॥ ८७ ॥ जे भिक्खू नितियं पिंडं भुंजइ भुंजंतं वा साइजइ ॥८८॥जे भिक्खू नितियं अवभागं भुंजइ भुजंतं वा साइजइ॥ ८९॥ जे भिक्खू नितियं भागं भुंजइ भुंजंतं वा साइज्जइ ॥ ९० ॥ जे भिक्खू नितियं उवढभागं भुंजइ भुंजंतं वा साइजइ ॥ ९१ ॥ जे भिक्खू नितियावासं वसई वसंतं वा साइजइ ॥९२ ॥ जे भिक्खू पुरेसंथवं वा पच्छासंथवं वा करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ९३ ॥ जे भिक्खू समाणे वा वसमाणे वा गामाणुगाम वा दूइजमाणे पुरेसंथु १ विभूसाए। २ सोहाए। ३ गुरुआणाइ विणा ।
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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