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________________ ८२६ सुगमे [ववहारो दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, बिइयाए से कप्पइ तिण्णि दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेज्जा, तइयाए से कप्पर चउदत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, चउत्थीए से कप्पर पंचदत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, पंचमीए कप्पइ छ दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेज्जा, छट्ठीए कप्पइत् दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, सत्तमीए कप्पर अट्ठ दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेज्जा, अट्ठमीए कप्पइ णव दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, णवमीए कप्पर दस दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, दसमीए कप्पर एगारस दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहा रेज्जा, एगारसीए कप्पर बारस दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, बारसीए कप्पर तेरस दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, तेरसीए कप्पइ चउद्दस दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेज्जा, चउद्दसीए कप्पइ पण्णरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पण्णरस पाणगस्स पडिगाहेत्तए, सव्वेहिं दुप्पयचउप्पय जाव णो लभेजा णो आहारेजा, पुणिमा भट्ठे भवइ, एवं खलु एसा वइरमज्झा चंदपडिमा अहासुत्तं अहाकप्पं जाव अणुपालित्ता भवइ ॥ २७५ ॥ पंचविहे ववहारे पण्णत्ते, तंजहा - आगमे सुए आणा धारणा जीए । जत्थेव तत्थ आगमे सिया, आगमेणं ववहारं पट्टवेजा, से तत्थ आगमे सिया, जहा से तत्थ सुए सिया, सुएणं वबहारं पट्ठवेज्जा, णो से तत्थ सुए सिया, जहा से तत्थ आणा सिया, आणाए ववहारं पट्टवेज्जा, णो से तत्थ आणा सिया, जहा से तत्थ धारणा सिया, धारणाए बवहारं पट्ठवेज्जा, णो से तत्थ धारणा सिया, जहा से तत्थ जीए सिया, जीएणं ववहारं पट्टवेज्जा, एएहिं पंचहिं ववहारेहिं ववहारं पट्टवेजा, तंजहा- आगमेणं सुएणं आणाए धारणाए जीएणं, जहा .से आगमे सुए आणा धारणा जीए तहा तहा ववहारे पट्टवेज्जा, से किमाहु भंते ? आगमबलिया समणा निग्गंथा, इच्चेयं पंचविहं ववहारं जया जया जहिं जहिं तहा तहा तहिं तहिं अणिसिओवरस्सियं ववहारं ववहारेमाणे समणे णिग्गंथे आणाए आराहए भवइ ॥ २७६ ॥ चत्तारि पुरिस [जा] जाया पण्णत्ता, तंजहा - अटकरे णा (ममे ) मंएगे णो माणकरे, माणकरे णामं एगे णो अट्ठकरे, एगे अट्ठकरे वि माणकरे वि, एगे णो अट्ठकरे णो माणकरे ॥ २७७ ॥ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तंजा - गणgकरे णामं एगे जो माणकरे, माणकरे णामं एगे णो गणटुकरे, एगे गणकरे वि माणकरे वि, एगे णो गणटुकरे णो माणकरे ॥ २७८ ॥ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं० - गणसंगहकरे णामं एगे जो माणकरे, माणकरे णामं एगे णो गणसंगहकरे, एगे गणसंगहकरे वि माणकरे वि, एगे णो गणसंगहकरे णो
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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