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________________ सुत्तागमे [ पुष्फियाओ अहाछन्दा अहाछन्दविहारिणी बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ २ त्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं तीसं भत्ताइं अणसणाए छेइत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कन्ता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तियाविमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवसन्तरिया अङ्गुलस्स असंखेज्जभागमेत्ताए ओगाहणाए बहुपुत्तियदेवित्ताए उववन्ना ॥ १२७ ॥ तए णं सा बहुपुत्तिया देवी अहुणोववन्नमेत्ता समाणी पञ्चविहाए पज्जत्तीए जाव भासामणपज्जत्तीए, एवं खलु गोयमा ! बहुपुत्तियाए देवीए सा दिव्वा देविड्वी जाव अभिसमन्नागया ॥ १२८ ॥ से केणद्वेणं भन्ते! एवं बुच्चइबहुपुत्तिया देवी २ ? गोयमा ! बहुपुत्तिया णं देवी जाहे जाहे सक्कस्स देविन्दस्स देवरन्नो उवत्थाणियणं करेइ ताहे २ बहवे दारए य दारियाओ य डिम्भए य डिम्भियाओ य विउव्वइ २ त्ता जेणेव सक्के देविन्दे देवराया तेणेव उवागच्छइ २ ता सक्क्स्स देविन्दस्स देवरन्नो दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवज्जुई दिव्वं देवाणुभावं उवदंसेइ, से तेणट्ठेणं गोयना ! एवं वुच्चइ - बहुपुत्तिया देवी २ | बहुपुत्तियाए णं भन्ते ! देवीए केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ? गोयमा ! चत्तारि पलिओ माई ठिई पन्नत्ता । बहुपुत्तिया णं भन्ते ! देवी ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणन्तरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिह ? गोयमा ! इहेव जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे विञ्झगिरिपायमूले विभेलसंनिवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पच्चायाहि ॥ १२९ ॥ तए णं तीसे दारियाए अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कन्ते जाव बारसेहिं दिवसेहिं वीइक्कन्तेहिं अयमेयारूवं नामधेजं करेन्ति — होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए नामधेजं सोमा ॥ १३० ॥ तए णं सोमा उम्मुक्कबालभावा विन्नयपरिणयमेत्ता जोव्वणगमणुप्पत्ता रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाव भविस्सइ । तए गं तं सोमं दारियं अम्मापियरो उम्मुकबालभावं विन्नयपरिणयमेत्तं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिकूविएणं सुक्केणं पडिरूवएणं नियगस्स भाइणेज्जस्स रट्ठकूडस्स भारियत्ताए दलइस्सर । सा णं तस्स भारिया भविस्सइ इट्ठा कन्ता जाव भण्डकरण्डगसमाणा तेलकेला इव सुसंगोविया चेलपे ( ला ) डा इव सुसंपरिग्गहिया रयणकरण्डगो विव सुसार क्खिया सुसंगोविया मा णं सीयं जाव विविहा रोगायङ्का फुसन्तु ॥ १३१ ॥ तणं सा सोमा माहणी रट्ठकूडेणं सद्धिं विउलाई भागभोगाई भुलमाणी संवच्छरे २ जलगं पयायमाणी सोलसेहिं संवच्छरेहिं. बत्तीसं दारगरूवे पयायइ । तए णं सा सोमा माहणी तेहिं बहूहिं दारगेहि य दारियाहि य कुमारेहि य कुमारियाहि य डिम्भएहि य डिम्भयाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहि य अप्पेगइएहिं थणियाएहि य अप्पे एहिं पीहगपाएहिं अप्पेगइएहिं परंगणएहिं अप्पेगइएहिं परक्कममा हिं ७८४
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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