SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 851
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुत्तागमे ७७६ [पुफियाओ तावसा भवन्ति, तंजहा-होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जन्नई सडई थालई हुम्बउटा दन्तुक्खलिया उम्मजगा संमजगा निमजगा संपक्खालगा दक्षिणकूला उत्तरकूला संखधमा कूलधमा मियलुद्धया हत्थितावसा उद्दण्डा दिसापोक्खिणो वक्तवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो रुक्खमूलिया अम्बुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कन्दाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडियकन्दमूलतयपत्तपुप्फफलाहारा जलाभिसेयकढिणगायभूया आयावणाहिं पञ्चग्गितावेहिं इङ्गालसोल्लियं कन्दुसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा विहरन्ति, तत्थ णं जे ते दिसापोक्खिया तावसा तेसिं अन्तिए दिसापोक्खियत्ताए पव्वइत्तए, पव्वइए वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हिस्सामि-कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड़े बाहाओ पगिज्झिय २ सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्ठ एवं संपेहेइ २ त्ता कल्लं जाव जलन्ते सुबहुं लोह० जाव दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइए । पव्वइए वि य णं समाणे इमं एयारूत्रं अभिग्गहं जाव अभिगिण्हित्ता पढमं छट्ठक्खमणं उवसंपजित्ताणं विहरइ॥९८॥ तए णं सोमिले माहणे रिसी पढमछट्टक्खमणपारणंसि आयावणभूमीए पञ्चोरुहइ २ त्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता किढिणसंकाइयं गेण्हइ २ त्ता पुरत्थिमं दिसिं पुक्खेइ २ त्ता पुरथिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं, जाणि य तत्थ कन्दाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि अणुजाणउत्तिकट्ठ पुरत्थिमं दिसं पसरइ २ त्ता जाणि य तत्थ कन्दाणि य जाव हरियाणि य ताइं गेण्हइ २ त्ता किढिणसंकाइयगं भरेइ २ त्ता दम्भे य कुसे य पत्तामोडं च समिहाकट्ठाणि य गेण्हइ २ त्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता कि ढिणसंकाइयगं ठवेइ २ त्ता वेई वड्डेइ २ त्ता उवलेवणसंमजणं करेइ २ त्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गङ्गा महाणई तेणेव उवागच्छइ २ त्ता गङ्गं महाणइं ओगाहइ २ त्ता जलमजणं करेइ २ त्ता जलकिट्ठे करेइ २ त्ता जलाभिसेयं करेइ २ त्ता आयन्ते चोक्खे परमसुइभूए देवपिउकयकजे दब्भकलसहत्थगए गङ्गाओ महाणईओ पञ्चुत्तरइ २ त्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता दब्भेहि य कुसेहि य वालुयाए य वेइं रएइ २ त्ता सरयं करेइ २ त्ता अरणिं करेइ २ त्ता सरएणं अराणि महेइ २ त्ता अग्गि पाडेइ २ त्ता अग्गि संधुक्खेइ २ त्ता समिहाकट्ठाइं पक्खिवइ २ त्ता अग्गिं उजालेइ २ त्ता अग्गिस्स दाहिणे पासे सत्तङ्गाइं समादहे। तंजहा-सकत्थं वकलं ठाणं, सेजभण्डं कमण्डलु । दण्डदारं तहप्पाणं, अह ताइं समादहे॥१॥ महुणा य घएण य तन्दु
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy