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________________ ५०२ सुत्तागमे [पण्णवणासुतं अट्ठ कम्मपगडीओ वेएइ । एवं नेरइए जाव वेमाणिए, एवं पुहुत्तेण वि । एवं वेयणिज्जवजं जाव अंतराइयं । जीवे गं भंते ! वेयणिजं कम्मं बन्धमाणे कइ कम्मपगडीओ वेदेइ ? गोयमा ! सत्तविहवेदए वा अट्ठविहवेदए वा चउ व्विहवेदए वा. एवं मणूसे वि । सेसा नेरइयाई एगत्तेणं पुहुत्तेण वि नियमा अट्ठ कम्मपगडीओ वेदंति जाव वेमाणिया । जीवा णं भंते ! वेयणिजं कम्मं बन्धमाणा कइ कम्मपगडीओ वेदेति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होजा अट्ठविहवेदगा य चउव्विहवेदगा य १, अहवा अट्ठविहवेदगा य चउव्विहवेदगा य सत्तविहवेदगे य २, अहवा अट्ठविहवेदगा य चउव्विवेदगा य सत्तविहवेदगा य ३, एवं मणूसा वि भाणियव्वा ॥६३७॥ पन्नवणाए भगवईए कम्मवेयणामं पणवीसइमं पयं समत्तं ॥ ___ कइ णं भंते ! कम्मपगडीओ पन्नत्ताओ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पन्नत्ताओ। तंजहा—णाणावरणिजं जाव अंतराइयं । एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं । जीवे णं भंते ! णाणावरणिजं कम्मं वेयमाणे कइ कम्मपगडीओ बन्धइ ? गोयमा ! सत्तविहबन्धए वा अट्ठविहबन्धए वा छव्विहबन्धए वा एगविहबन्धए वा । नेरइए णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं वेयमाणे कइ कम्मपगडीओ बन्धइ ? गोयमा ! सत्तविहबन्धए वा अट्ठविहबन्धए वा, एवं जाव वेमाणिए, एवं मणूसे जहा जीवे । जीवा णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं वेएमाणा कइ कम्मपगडीओ बन्धन्ति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबंधगा य १, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य छव्विहबन्धगे य २, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य छव्विहबन्धगा य ३, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य एगविहबन्धए य ४, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य एगविहबन्धगा य ५, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य छव्विहबन्धए य एगविहबन्धए य ६, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य छव्विहबन्धए य एगविहबन्धगा य ७, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य छव्विहबन्धगा य एगविहबन्धए य ८, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य छव्विहबन्धगा य एगविहबन्धगा य ९, एवं एए नव भंगा। अवसेसाणं एगिंदियमणूसवज्जाणं तियभंगो जाव वेमाणियाणं । एगिदिया णं सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य । मणूसाणं पुच्छा । गोयमा ! सव्वे वि ताव होज सत्तविहबन्धगा १, अवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगे य २, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धगा य ३, अहवा सत्तविहबन्धगा य छव्विहबन्धए य ४, एवं छव्विहबन्धएण वि समं दो भंगा ५, एगविहबन्धएण वि समं दो भंगा ६-७, अहवा सत्तविहबन्धगा य अट्ठविहबन्धए य छव्वि
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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