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________________ ४८२ सुत्तागमे [पण्णवणासुतं वेमाणियस्स ॥५८८ ॥ जं समयं णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तं समयं अहिगरणिया किरिया कजइ, जं समयं अहिगरणिया० कजइ तं समयं काइया किरिया कजइ ? एवं जहेव आइलओ दंडओ तहेव भाणियव्वो जाव वेमाणियस्स । जं देसं णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया तं देसं णं अहिगरणिया किरिया तहेव जाव वेमाणियस्स । जं पएसं णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया तं पएसं णं अहिगरणिया किरिया एवं तहेव जाव वेमाणियस्स । एवं एए जस्स जं समयं जं देसं जं पएसं णं चत्तारि दंडगा होंति ॥ ५८९ ॥ कइ णं भंते ! आओजियाओ किरियाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! पंच आओजियाओ किरियाओ पण्णत्ताओ । तंजहा-काइया जाव पाणाइवायकिरिया, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं । जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया आओजिया किरिया अस्थि तस्स अहिंगरणिया आओजिया किरिया अस्थि, जस्स अहिगरणिया आओजिया किरिया अत्थि तस्स काइया आओजिया किरिया अत्थि ? एवं एएणं अभिलावेणं ते चेव चत्तारि दंडगा भाणियव्वा, जस्स जं समयं जं देसं जं जाव वेमाणियाणं ॥ ५९० ॥ जीवे णं भंते ! जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे तं समयं पारियावणियाए पुढे, पाणाइवायकिरियाए पुढे ? गोयमा ! अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुढे, पाणाइवायकिरियाए पुढे १, अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुढे, पाणाइवायकिरियाए अपुढे २, अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए• पुढे तं समयं पारियावणियाए 'किरियाए अपुढे, पाणाइवायकिरियाए अपुढे ३ ॥ ५९१ ॥ कइ णं भंते ! किरियाओ पण्णत्ताओ? गोयमा! पंच किरियाओ पण्णत्ताओ। तंजहा-आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपच्चक्खाणकिरिया, मिच्छादसणवत्तिया । आरंभिया णं भंते! किरिया कस्स कजइ ? गोयमा ! अण्णयरस्स वि पमत्तसंजयस्स । परिग्गहिया णं भंते ! किरिया कस्स कज्जइ ? गोयमा ! अण्णयरस्स वि संजयासंजयस्स । मायावत्तिया णं भंते ! किरिया कस्स कन्जइ ? गोयमा ! अण्णयरस्स वि अपमत्तसंजयस्स । अपञ्चक्खाणकिरिया णं भंते ! कस्स कजइ ? गोयमा ! अण्णयरस्स वि अपच्चक्खाणिस्स । मिच्छादसणवत्तिया णं भंते ! किरिया कस्स कन्जइ ? गोयमा ! अण्णयरस्स वि मिच्छादंसणिस्स ॥ ५९२ ॥ नेरइयाणं भंते ! कइ किरियाओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! पंच किरियाओ पन्नत्ताओ।
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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