SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 541
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४६६ सुत्तागमे [ पण्णवणासुतं 1 1 पन्नत्ते। तंजहा—जलयरति रिक्खजोणियपंचिंदियओरा लियसरीरे य थलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे य खहयर तिरिक्ख जोणियपंचिंदियओरालियसरीरे य । जलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते । तंजहा -- संमुच्छिमजलय रति रिक्ख जोणियपंचिंदियओरालियसरीरे य गब्भवक्कंतियजलयरति रिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे य । संमुच्छि मजलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओ लियसरीरे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! विपन्न । जहा - पज्जत्तगसंमुच्छिमतिरिक्ख जोणियपंचिं दियओरा लियसरीरे य अपज्जत्तगसंमुच्छिमतिरिक्खजोणिय पंचिंदियओरालियसरीरे य, एवं गब्भवतिए वि । थलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे णं भंते! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते । तंजहा - चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे य परिसप्पथलयरतिरिक्खजोणिय पंचेन्दियओरालियसरीरे य । चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरा लियसरीरे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते । तंजहा—संमुच्छिमच उप्पयथलय र तिरिक्खजोणिय पंचेंदियओरालियसरीरे य गब्भवतियचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे य । संमुच्छिम चउप्पय० तिरिक्ख जोणियपंचिंदियओरालियसरीरे० कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते । तंजहा - पज्जत्तसंमुच्छिमच उप्पयथलयरतिरिक्खजोणिय - पंचिंदियओरालियसरीरे य अपजत्तसंमुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे य । एवं गब्भवनंतिए वि । परिसप्पथलयरति रिक्ख जोणियपंचिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते । तंजहाउरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरा लियसरीरे य भुयपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे य । उरपरिसप्पथलयर तिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते । तंजहा - संमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरा लियस रीरे य गब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरतिरिक्ख जोणिय पंचिंदियओरालियसरीरे य । संमुच्छिमे दुविहे पन्नत्ते । तंजहा-अपज्जत्तसंमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपांचिंदियओरालियसरीरे य पजत्तसंमुच्छिमउरपरि सप्पथलयरतिरिक्खजो णियपंचिंदियओरालियसरीरे य, एवं गब्भवक्कंतियउरपरिसप्पे चउक्कओ भेओ । एवं भुयपरिसप्पा वि संमुच्छिमगब्भवकंतिया पज्जत्ता अपज्जत्ता य । खहयरा दुविहा पन्नत्ता । तंजहासंमुच्छिमा य गब्भवतिया य । संमुच्छिमा दुविहा पन्नत्ता - पज्जत्ता अपज्जत्ता य भवतिया विपत्ता अपजत्ता य । मणूसपंचिंदियओरालियसरीरे णं भंते !
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy