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________________ सुत्तागमे २७८ [पण्णवणासुत्तं वन्ने तहाविहा ॥ १९ ॥ जस्स मूलस्स भग्गस्स हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे उ से मूले जेयावन्ने तहाविहा ॥ २० ॥ जस्स कंदस्स भग्गस्स हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे उ से कंदे जेयावन्ने तहाविहा ॥ २१ ॥ जस्स खंधस्स भग्गस्स हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे उ से खंधे जेयावन्ने तहाविहा ॥२२॥ जीसे तयाए भग्गाए हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवा तया सा उ जेयावन्ना तहाविहा ॥ २३ ॥ जस्स सालस्स भग्गस्स हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे उ से साले जेयावन्ने तहाविहा ॥२४॥ जस्स पवालस्स भग्गस्स हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे पवाले उ जेयावन्ने तहाविहा ॥२५॥ जस्स पत्तस्स भग्गस्स हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे उ से पत्ते जेयावन्ने तहाविहा ॥२६॥ जस्स पुप्फस्स भग्गस्स हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे उ से पुप्फे जेयावन्ने तहाविहा ॥२७॥ जस्स फलस्स भग्गस्स हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे फले से उ जेयावन्ने तहाविहा ॥ २८॥ जस्स बीयस्स भग्गस्स हीरो भंगो पदीसए । परित्तजीवे उ से बीए जेयावन्ने तहाविहा ॥ २९ ॥ जस्स मूलस्स कट्ठाओ छल्ली बहलयरी भवे। अणंतजीवा उ सा छल्ली जेयावन्ना तहाविहा ॥ ३०॥ जस्स कंदस्स कट्ठाओ छल्ली बहलयरी भवे । अणंतजीवा उ सा छल्ली जेयावन्ना तहाविहा ॥ ३१ ॥ जस्स खंधस्स कट्ठाओ छल्ली बहलयरी भवे । अणंतजीवा उ सा छल्ली जेयावन्ना तहाविहा ॥ ३२ ॥ जीसे सालाए कट्ठाओ छल्ली बहलयरी भवे । अणंतजीवा उ सा छल्ली जेयावन्ना तहाविहा ॥ ३३ ॥ जस्स मूलस्स कट्ठाओ छल्ली तणुयरी भवे । परित्तजीवा उ सा छल्ली जेयावन्ना तहाविहा ॥ ३४ ॥ जस्स कंदस्स कट्ठाओ छल्ली तणुयरी भवे । परित्तजीवा उ सा छल्ली जेयावन्ना तहाविहा ॥ ३५ ॥ जस्स खंधस्स कट्ठाओ छल्ली तणुयरी भवे । परित्तजीवा उ सा छल्ली जेयावन्ना तहाविहा ॥ ३६ ॥ जीसे सालाए कट्ठाओ छल्ली तणुयरी भवे । परित्तजीवा उ सा छल्ली जेयावन्ना तहाविहा ॥ ३७॥ चक्कागं भजमाणस्स गंठी चुण्णधणो भवे । पुढविसरिसभेएण अणंतजीवं वियाणहि ॥ ३८ ॥ गूढछिरागं पत्तं सच्छीरं जं च होइ निच्छीरं । जं पि य पणट्ठसंधि अणंतजीवं वियाणाहि ॥ ३९ ॥ पुप्फा जलया थलया य बिंटबद्धा य नालबद्धा य । संखिजमसंखिजा बोद्धव्वाऽणंतजीवा य ॥ ४० ॥ जे केइ नालियाबद्धा पुप्फा संखिज्जजीविया भणिया। णिहुया अणंतजीवा जेयावन्ने तहाविहा ॥४१॥ पउमुप्पलिणीकंदे अंतरकंदे तहेव झिल्ली य। एए अणंतजीवा एगो जीवो बिसमुणाले ॥ ४२ ॥ पलंडू ल्हसुणकंदे य कंदली य कुटुंबए। एए परित्तजीवा जेयावन्ने तहाविहा ॥ ४३ ॥ पउमुप्पलनलिणाणं सुभगसोगंधियाण य । अरविंदकोकणाणं सयवत्तसहस्सपत्ताणं ॥४४ ॥ विटं बाहिरपत्ता य कनिया चेव एगजीवस्स । अभितरगा पत्ता
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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