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________________ तिविहपडिवत्तिसमत्ती] सुत्तागमे १३३ पण दोवि तुल्ला सव्वत्थोवा, देवकुरुउत्तरकुरुअकम्मभूमगमणुस्सइत्थीओ पुरिसा गए णं दोवि तुल्ला संखे० एवं हरिवासरम्मगवास० एवं हेमवयएरण्णवय० भरहेरवयकम्मभूमगमणुस्सपुरिसा दोवि संखे० भरहेरवयकम्मभूमगमणुस्सित्थीओ संखे० पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमगमणुस्सपुरिसा दोवि संखे० पुव्वविदेहअवरविदेहकम्म०मणुस्सित्थियाओ दोवि संखे० अणुत्तरोववाइयदेवपुरिसा असंखेजगुणा उपरिमगेवेजदेवपुरिसा संखे० जाव आणए कप्पे देवपुरिसा संखे० अहेसत्तमाए पढवीए नेरइयणपुंसगा असंख्खे० छट्ठीए पुढवीए नेरइयनपुंसगा असं० सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखे० महासुक्के कप्पे देव० असं० पंचमाए पुढवीए नेरइयनपंसगा असं० लंतए कप्पे देवपु० असं० चउत्थीए पुढवीए नेरइयनपुंसगा असं० बंभलोए कप्पे देवपुरिसा असं० तच्चाए पुढवीए नेरइयण० असं० माहिंदे कप्पे देवपु० असंखे० सणकुमारे कप्पे देवपुरिसा असं० दोच्चाए पुढवीए नेरइयनपुंसगा असं अंतरदीवगअकम्मभूमगमणुस्सणपुंसगा असंखे० देवकुरुउत्तरकुरुअकम्मभूमगमणुस्सणपुंसगा दोवि संखे० एवं जाव विदेहत्ति, ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असं० ईसाणकप्पे देवित्थियाओ संखे० सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखे० सोहम्मे कप्पे देवित्थियाओ संखेज० भवणवासि देवपुरिसा असंखे० भवणवासिदेवित्थियाओ संखेनगुणाओ इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयणपुंसगा असं० खयरतिरिक्खजोणियपुरिसा असंखेज्जगुणा खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखे० थलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखे० थलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखे. जलयरतिरिक्खपुरिसा संखे० जलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखे० वाणमंतरदेवपुरिसा संखे० वाणमंतरदेवित्थियाओ संखे० जोइसियदेवपुरिसा संखे० जोइसियदेवित्थियाओ संखे० खहयरपंचंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखे० थलयरणपुंसगा संखे० जलयरणपुंसगा संखे० चउरिंदियणपुंसगा विसेसाहिया तेइंदिय० विसेसा० बेइंदिय. विसेसा० तेउकाइयएगिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा असं० पुढवी. विसेसा० आउ० विसेसा० वाउ० विसेसा० वणप्फइकाइयएगिदियतिरिक्खजो०णपुंसगा अणंतगुणा ॥ ६२ ॥ इत्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णता ? गोयमा ! एगेणं आएसेणं जहा पुचि भणियं, एवं पुरिसस्सवि नपुंसगस्सवि, संचिट्ठणा पुणरवि तिण्हंपि जहापुट्वि भणिया, अंतरंपि तिहंपि जहापुचि भणियं तहा नेयव्वं ॥ ६३ ॥ तिरिक्खजोणित्थियाओ तिरिक्खजोणियपुरिसेहितो तिगुणाओ तिरूवाहियाओ मणुस्सित्थियाओ मणुस्सपुरिसेहिंतो सत्तावीसइगुणाओ सत्तावीसयरूवाहियाओ देवित्थियाओ देवपुरिसेहितो बत्तीसइगुणाओ बत्तीसइख्वाहियाओ सेत्तं तिविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता ॥
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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