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________________ सुत्तागमे [ रायपसेणइयं सूरियाभं विमाणं उवचियचंदणकलसं चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियामं विमाणं आसत्तोसत्तविउलववग्धारियमल्लदामकलावं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियामं विमाणं पंचवण्णसुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियामं विमाणं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुकधूवमघमघंतगंधुद्धयाभिरामं करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेंति, अप्पेगइया देवा हिरण्णवासं वासंति, सुवण्णवासं वासंति, रययवासं वासंति, वइर-- वासं० पुप्फवासं० फलवासं० मल्लवासं० गंधवासं० चुण्णवासं० आभरणवासं वासंति, अप्पेगइया देवा हिरण्णविहिं भाएंति, एवं सुवन्नविहिं भाएंति, रयणविहिं पुप्फविहिं फलविहिं मल्लविहिं चुण्णविहिं वत्थविहिं गंधविहिं०, तत्थ अप्पेगइया देवा आभरणविहिं भाएंति, अप्पेगइया चउव्विहं वाइत्तं वाइंति-ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पेगइया देवा चउविहं गेयं गायंति, तं०-उक्खित्तायं पायत्तायं मंदायं रोइयावसाणं, अप्पेगइया देवा दुयं नट्टविहिं उवदंसिंति अप्पेगइया विलंबियणट्टविहिं उवदंसेंति अप्पेगइया देवा दुयविलंबियं णट्टविहिं उवदंसेंति, एवं अप्पेगइया अंचियं नविहिं उवदंसेंति, अप्पेगइया देवा आरभडं भसोलं आरभडभसोलं उप्पायनिवायपवत्तं संकुचियपसारियं रियारियं भंतसंभंतणामं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पेगइया देवा चउव्विहं अभिणयं अभिणयंति, तंजहा-दिलृतियं पाडंतियं सामंतोवणिवाइयं लोगअंतोमज्झावसाणियं, अप्पेगइया देवा बुक्कारेंति, अप्पेगइया देवा पी0ति,, अप्पेगइया लासेंति, अप्पेगइया हक्कारेंति, अप्पेगइया विणंति, तंडवेंति, अप्पेगइया वग्गंति अप्फोडेंति, अप्पेगइया अप्फोडेंति वग्गंति, अप्पे० तिवई छिंदति, अप्पेगइया हयहेसियं करेंति, अप्पेगइया हत्थिगुलगुलाइयं करेंति, अप्पेगइया रहघणघणाइयं करेंति, अप्पेगइया हयहेसियहत्थिगुलगुलाइयरहघणघणाइयं करेंति, अप्पेगइया उच्छलेंति, अप्पेगइया पोच्छलेंति, अप्पेगइया उक्किट्ठियं करेंति, अ०. उच्छलेंति पोच्छलेंति, अप्पेगइया तिन्नि वि, अप्पेगइया उवयंति, अप्पेगइया उप्पयंति, अप्पेगइया परिवयंति, अप्पेगइया तिन्निवि, अप्पेगइया सीहनायंति, अप्पेगइया दद्दरयं करेंति, अप्पेगइया भूमिचवेडं दलयंति, अप्पे० तिन्नि वि, अप्पेगइया गजति, अप्पेगइया विजुयायंति, अप्पेगइया वासं वासंति, अप्पेगइया तिन्निवि करेंति, अप्पेगइया जलंति, अप्पेगइया तवंति, अप्पेगइया पतवेंति, अप्पेगइया तिन्नि वि, अप्पेगइया हक्कारेंति, अप्पेगइया थुक्कारेंति, अप्पेगइया धक्कारेंति, अप्पेगइया साइं साइं नामाइं साति, अप्पेगइया चत्तारि वि, अप्पेगइया देवा देवसन्निवायं करेंति, अप्पेगइया देवुजोयं करेंति, अप्पेगइया देवुक्कलियं
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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