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________________ पढमं परिसिटुं [कप्पसुत्तं सप्पि, तिलं, गुडं ॥ १७ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-'अट्ठो भंते! गिलाणस्स?' से य वएजा-'अट्ठो', से य पुच्छियव्वे 'केवइएणं अट्ठो ?' से (य) वएजा-'एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स', जं से पमाणं वयद से य पमाणओ वित्तव्वे, से य विन्नविज्जा, से य विनवेमाणे लभिज्जा, से य पमाणपत्ते 'होउ अलाहि' इय वत्तव्वं सिया, से किमाहु भंते !, एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, सिया णं एवं वयंतं परो वइज्जा-'पडिगाहेहि अजो ! पच्छा तुमं भुक्खसि वा पाहिसि वा,' एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ गिलाणनीसाए पडिगाहित्तए ॥ १८॥ वासावासं पजोसवियाणं अत्थि णं थेराणं तहप्पगाराइं कुलाई कडाइं पत्तियाई थिजाइं वेसासियाई संमयाइं बहुमयाइं अणुमयाइं भवंति, त(जोत्थ से नो कप्पइ अदक्खु वइत्तए-,अस्थि ते आउसो ! इमं वा इमं वा ?' से किमाहु भंते !, सही गिही गिण्हइ वा, तेणियपि कुज्जा ॥ १९ ॥ वासावासं पजोसवियस्स निश्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगं गोयरकालं गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नन्नत्थाऽऽयरियवेयावच्चेण वा एवं उवज्झायवेयावच्चेण वा तवस्सिवेयावच्चेण वा गिलाणवेयावच्चेण वा खुड्डएण वा खुड्डियाए वा अवंजणजायएण वा ॥ २० ॥ वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे-जं से पाओ निक्खम्म पुवामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संपमज्जिय से य संथरिजा कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तढणं पज्जोसवित्तए, से य नो संथरिजा एवं से कप्पइ दुचंपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ २१ ॥ वासावासं पजोसवियस्य छट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति दो गोयरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ २२ ॥ वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ गोयरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ २३ ॥ वासावासं पज्जोसवियस्स विगिढ़भत्तियस्स भिक्खुस्स कम्पति सव्वेवि गोयरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ २४ ॥ वासावासं पज्जोसवियस्म नियत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वाई पाणगाइं पडिगाहित्तए । वासावासं पजामवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहितए, जहा ओसेइम(वा), संसेइम, चाउलोदगं । वासावासं पज्जोसवियस्स छट्टनियम भिक्खुस्स कप्पति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा-तिलोदगं वा, तुसोदगं वा, जवोदगं वा । वासावासं पजोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स का पति नओ
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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