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________________ सुत्तागमे [ओववाइयसुत्तं सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स सुभेणं परिणामेण पसत्थाहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं अन्नया कयाइ तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवनमणं ईहावृहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स वीरियलद्धी वेउव्वियलद्धी ओहिणाणलद्धी गमुष्पण्णा, तए णं से अम्मडे परिव्वायए ताए वीरियलद्धीए वेउबियलद्धीए ओहिणाणलद्धीए समुप्पण्णाए जणविम्हावणहेडं कंपिल्लपुरे नयरे घरसए जाव वसहि उबेड, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घर गए जाव वसहिं उवेइ । पहू णं भंते ! अम्मडे परिव्वायए देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए ? णो इणढे समढे, गोयमा ! अम्मडे णं परिव्वायए समणोवासए अभिगयजीवांजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, णवरं ऊसियफलिहे अवंगुयदुवारे चियत्तंतेउरघरदारपवेसी ण वुच्चइ अम्मडस्स णं परिव्यायगरम झूलए पाणाइवाए पञ्चक्खाए जावज्जीवाए जाव परिग्गहे णवरं सव्वे मेहुणे पचवाए जावजीवाए, अम्मडस्ल णं णो कप्पइ अक्खसोयप्पमाणमेत्तंपि जलं सयराहं उत्तरित्तए णण्णत्थ अद्धाणगमणेणं, अम्मडस्स णं णो कप्पइ सगडं वा एवं तं चेव भाणियव्वं जाव णण्णत्थ एगाए गंगामट्टियाए, अम्मडस्स णं परिव्वायगस्त णो कापड आहाकम्मिए वा उद्देसिए वा मीसजाए इ वा अज्झोयरए इ वा पूइकम्मे इ वा कीयगडे इ वा पामिच्चे इ वा अणिसिटे इ वा अभिहडे इ वा ठइत्तए वा रदत्तए वा कतारभत्ते इ वा दुब्भिक्खभत्ते इ वा पाहुणगभत्ते इ वा गिलाणभत्ते इ वा बद्दलियाभत इ वा भोत्तए वा पाइत्तए वा, अम्मडस्स णं परिव्वायगस्त णो कप्पड़ मूलभोयणे वा जाव बीयभोयणे वा भोत्तए वा पाइत्तए वा, अम्मडस्स णं परिव्वायगरम चविहे अणत्थदंडे पचक्खाए जावज्जीवाए, तंजहा-अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसा-पयाणे पावकम्मोवएसे, अम्मडस्स कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्ता सेऽविय वहमाणए नो चेव णं अवहमाणए जाव सेऽविय परिपूए नो चेव णं अपरिपए सेऽविय सावजेत्तिकाउं णो चेव णं अणवज्जे सेऽविय जीवा इतिक णो चंब णं अजीवा सेऽविय दिण्णे णो चेव णं अदिण्णे सेऽविय दंतहत्थपायचरुचमसपक्वालगठ्ठयाए पिबित्तए वा णो चेव णं सिणाइत्तए, अम्मडस्स कप्पड़ मागहए य आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, सेऽविय वहमाणे जाव दिन्ने नो चेव णं अदिण्णे सेऽविय सिणाइत्तए णो चेव णं हत्थपायचरुचमसपक्खालणट्टयाए पिबित्तए वा, अम्मडस्स णो कप्पइ अन्नउत्थिया वा अण्णउत्थियदेवयाणि वा वंदित्तए वा णमंसित्तए वा जाव पज्जुवासित्तए वा णण्णत्थ अरिहंते वा अरिहंतसाहुणो वा । अम्मडे णं भंते ! परिव्वायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववजिहिइ ?, गोयमा !
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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