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________________ सुत्तागमे ९१६ .. [भगवई यन्वो, कण्हलेस्सभवसिद्धियअपज्जत्तसहमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ प० ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्देसए तहेव जाव वेदेति । कइविहा गं भंते ! अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया प० ? गोयमा! पंचविहा अणंतरोववन्नगा जाव वणस्सइकाइया, अणंतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धियपुढवि. काइया णं भते । कइविहा प० ? गोयमा ! दुविहा प०, तं०-सुहुमपुटविकाइया (य वायरपुटविकाइया य)एवं दुपओ भेदो। अणंतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धियसुहमपुटविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मपगडीओ प० ? एवं एएणं अभिलावणं जहेव ओहिओ अणंतरोववन्नगउद्देसओ तहेव जाव वेदेति, एवं एएणं अभिलावेणं एक्कारसवि उद्दे सगा तहेव भाणियव्वा जहा ओहियसए जाव अचरिमोत्ति॥ छठें एगिदियसयं समत्तं ॥६॥ जहा कण्हलेस्सभवसिद्धिएहिं सयं भणियं एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहिवि सयं भाणियव्वं ॥ सत्तमं एगिदियसयं समत्तं ॥ ७॥ एवं काउलेस्सभवसिद्धिएहिवि सयं ॥ अट्ठमं एगिदियसयं समत्तं ॥ ८॥ कइविहा णं भंते ! अभवसिद्धिया एगिंदिया प०? गोयमा | पंचविहा अभवसिद्धिया एगिदिया प०, तं०-पुढविकाइया जाव वणस्सइ. काइया एवं जहेव भवसिद्धियसयं भणियं नवरं नव उद्देसगा चरिमअचरिमउद्देसगवज्जा सेसं तहेव ॥ नवमं एगिदियसयं समत्तं ॥ ९ ॥ एवं कण्हलेस्सअभवसिद्धियएगिदियसयंपि ॥ दसमं एगिदियसयं समत्तं ॥ १० ॥ नीललेस्सअभवसिद्धियएगिदिएहिवि सयं ।। ११ ॥ काउलेस्सअभवसिद्धियसयं, एवं चत्तारिवि अभवसिद्धि. यसयाणि णव २ उद्देसगा भवंति, एवं एयाणि वारस एगिदियसयाणि भवंति ॥ ८४८ ॥ तेत्तीसइमं सयं समत्तं ॥ ____ कइविहा णं भंते । एगिंदिया प० ? गोयमा ! पंचविहा एगिंदिया प०, तं०पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया, एवं एएणं चेव चउक्कएगं भेदेणं भाणियव्वा जाव वणस्सइकाइया, अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए समोहइत्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते अपजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा ? गोयमा । एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिस-. मइएण वा विग्गहेणं उववजेजा, से केगटेणं भंते ! एवं वुच्चइ एगसमइएण वा दुसमइएण वा जाव उववनेजा ? एवं खलु गोयमा! मए सत्त सेढीओ प०, तं०उज्जुआयया सेढी एगओवंका दुहओवंका एगओखहा दुहओखहा चकवाला अद्धचकवाला ७, उजुआययाए सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएणं विरगहेणं उववजेजा, एगओवंकाए सेढीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा, दुहओवंकाए
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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