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________________ सुत्तागमे [भगवई एवं आउकाइयाणवि, एवं वणस्सइकाइयाणवि, तेउकाइया वाउकाइया सव्वट्ठाणेखें मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउयं पकरे(इ)न्ति तिरिक्खजोणियाउयं पकरेन्ति नो मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरेन्ति, वेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणं जहा पुढविकाइयाणं नवरं सम्मत्तनाणेसु न एकंपि आउयं पकरेन्ति । किरियावाई णं भंते! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं नेरइयाउयं पकरेन्ति० पुच्छा, गोयमा ! जहा मणपजचनाणी, अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई य चउन्विहंपि पकरेन्ति, जहा ओहिया तहा सलेस्सावि । कण्हलेस्सा णं भंते ! किरियावाई पंचिंदियतिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउयं० पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेन्ति णो तिरिक्ख० नो मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरेन्ति, अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई चउन्विहंपि पकरेन्ति, जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सावि काउलेस्सावि, तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई य णो नेरइयाउयं पकरेन्ति तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेन्ति मणुस्साउयपि पकरेन्ति देवाउयंपि पकरेंति, एवं पम्हलेस्सावि, एवं सुक्कलेस्सावि भाणियब्वा, कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउन्विहंपि आउयं पकरेन्ति, सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा, सम्मट्टिी जहा मणपजवनाणी तहेव वेमाणियाज्यं पकरेन्ति, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी ण य एकंपि आउयं पकरेन्ति जहेव नेरड्या, णाणी जाव ओहिनाणी जहा सम्मदिट्टी, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया, सेसा जाव अणागारोवडत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियन्वा, जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मणुस्साणवि वत्तव्बया भाणियव्वा, नवरं मणपजवनाणी नोसन्नोवउत्ता य जहा सम्मविट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा, अलेस्सा केवलनाणी अवेदगा अकसाई अजोगी य एए एकंपि आउयं न पकरेन्ति जहा ओहिया जीवा सेसं तं चेव, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ किरियावाई णं भंते ! जीवा किं भवसिद्धिया अभवसिद्धिया ? गोयमा! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया । अकिरियावाई णं भंते ! जीवा कि भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि, एवं अन्नाणियवाईवि, वेणइयवाईवि । सलेस्सा णं मंते ! जीवा किरियावाई किं भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया। सलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावाई किं भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि, एवं अन्नाणियवाईवि वेणइयवाईवि जहा सलेस्सा, एवं जाव मुकलेस्सा, अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, एवं एएणं अभिलावेणं कण्हपक्खिया
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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