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________________ वि०प० स० २६ उ० १] सुत्तागमे ८९९ एवं मइअन्नाणीणं सुयअन्नाणीणं विभंगणाणीणवि ६ । आहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताणं पढमविइया नोसन्नोवउत्ताणं चत्तारि ७ । सवेदगाणं पढम बिइया,एवं इत्थिवेदगाणं पुरिसवेदगाणं नपुंसगवेदगाणवि, अवेदगाणं चत्तारिभंगा। सकसाईणं चत्तारि, कोहकसाईणं पढमविइया भंगा, एवं माणकसा(य)इस्सवि माया कसाइस्सवि लोभकसाइस्सवि चत्तारि भंगा, अकसाई णं भंते ! जीवे पावं कम्म किं बंधी० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए वंधी न बंधइ बंधिस्सइ ३, अत्थेगइए वंधी ण बंधइ ण वंधिस्सइ ४ । सजोगिस्स चउभंगो, एवं मणजो(ग)गिस्सवि वइजोगिस्सवि कायजोगिस्सवि, अजोगिस्स चरिमो, सागारोवउत्ते चत्तारि, अणागारोवउत्तवि चत्तारि भंगा ११॥ ८१० ॥ नेरइए णं भंते ! पावं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए बंधी पढमबिइया १, सलेस्से णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं० एवं चेव, एवं कण्हलेस्सेविं नीललेस्सेवि काउलेस्सेवि, एवं कण्हपक्खिए(वि) सुक्कपक्खिए(वि), सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, णाणी आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी ओहिणाणी अन्नाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी आहारसन्नोवउत्ते जाव परिग्गहसन्नोवउत्ते, सवेदए जाव नपुंसगवेदए, सकसाई जाव लोभकसाई, सजोगी मणजोगी वइजोगी कायजोगी, सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते, एएसु सव्वेसु पएसु पढमविइया भंगा भाणियव्वा, एवं असुरकुमारस्सवि वत्तव्वया भाणियव्वा नवरं तेउलेस्सा इत्थिवेयगा पुरिसवेयगा य अब्भहिया नपुंसगवेदगा न भन्नति सेसं तं चेव सव्वत्य पढमविइया भंगा, एवं जाव थणियकुमारस्स, एवं पुढविकाइयस्सवि आउकाइयस्सवि जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्सवि सव्वत्थवि पढमबिइया भंगा नवरं जस्स जा लेस्सा दिट्ठी गाणं अन्नाणं वेदो जोगो य जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्यं सेसं तहेव, मणूसस्स जच्चेव जीवपदे वत्तव्वया सचेव निरवसेसा भाणियव्वा, वाणमंतरस्स जहा असुरकुमारस्स, जोइसियस्स माणियस्स एवं चेव नवरं लेस्साओ जाणियव्वाओ, सेसं तहेव भाणियव्वं ॥ ८११ ॥ जीवे णं भंते ! नाणावरणिज्जं कम्मं किं बंधी बंधइ वंधिस्सइ एवं जहेव पावकम्मस्स वत्तव्वया भणिया तहेव नाणावरणिजस्सवि वत्तव्वया भाणियन्वा नवरं जीवपदे मणुस्सपदे य सकसाई जाव लोभकसाइंमि य पढमविइया भंगा अवसेसं तं चेव जाव वेमाणिए, एवं दरिसणावरणिज्जेगाव दंडगो भाणियव्वो निरवसेसो ॥ जीवे णं भंते ! वेयणिज कम्मं किं बंधी० पुच्छा, गोयमा! अत्थेगइए बंधी बंधइ वंधिस्सइ १, अत्थेगइए वंधी बंधइ न बंधिस्सइ २, अत्थेगइए बंधी न बंधइ न वंधिस्सइ ४, सलेस्सेवि एवं चेव तइयविहणा भंगा, कण्हलेस्से जाव पम्हलेस्से पढम
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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