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________________ वि०५० स० २५ उ०५] सुत्तागमे ८७३ वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुव्वे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिगंगे नलिणे अच्छिणि(उ). पूरंगे अच्छिणि (उ)पूरे अउयंगे अउए नउयंगे नउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलि(या)ए सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे ओसप्पिणी एवं उस्सप्पिणीवि, पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! किं संखेजा समया असंखेजा समया अणंता समया? गोयमा! नो संखेज्जा समया नो असंखेजा समया अणंता समया, एवं तीयद्धा अणागयद्धा सव्वद्धा ॥ आवलियाओ णं भंते ! कि संखेजा समया० पुच्छा, गोयमा! नो संखेजा समया सिय असंखेजा समया सिय अणंता समया, आणापापूर्ण भंते । कि संखेजा समया० पुच्छा, एवं चेव, थोवाणं भंते ! किं संखेज्जा समया ३ ? एवं चेव एवं जाव उस्सप्पिणीओत्ति, पोग्गलपरियट्टाणं भंते ! किं संखेजा समया० पुच्छा, गोयमा । णो सखेजा समया णो असंखेज्जा समया अणंता समया, आणापाणूणं भंते ! कि संखेजाओ आवलियाओ० पुच्छा, गोयमा ! संखेजाओ आवलियाओ णो असंखेजाओ आवलियाओ नो अणंताओ आवलियाओ, एवं थोवेवि, एवं जाव सीसप्पहेलियत्ति। पलिओवमे णं भंते ! कि संखेजा० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजाओ आवलियाओ असंखेज्जाओ आवलियाओ नो अणंताओ आवलियाओ, एवं सागरोवमेवि, एवं ओसप्पिणीवि उस्सप्पिणीवि, पोग्गलपरियट्टे पुच्छा, गोयमा! नो सखेजाओ आवलियाओ णो असंखेजाओं आवलियाओ अणंताओ आवलियाओ, एवं जाव सव्वद्धा। आणापाणूणं भंते ! किं संखेजाओ आवलियाओ० पुच्छा, गोयमा ! सिय सखेजाओ आवलियाओं सिय असंखेजाओ सिय अणंताओ, एवं जाव सीसप्पहेलियाओ, पलिओवमाणं पुच्छा, गोयमा । णो संखेज्जाओ आवलियाओ सिय असंखेजाओ आवलियाओ सिय अणंताओ आवलियाओ, एवं जाव उस्सप्पिणीओत्ति, पोग्गलपरियट्टाणं पुच्छा, गोयमा । णो संखेजाओ आवलियाओ णो असंखेजाओ आवलियाओ अणंताओ आवलियाओ। थोवे णं भंते ! किं सखेजाओ आणापाणूओ असंखेज्जाओ जहा आवलियाए वत्तव्वया एवं आणापाणूओवि निरवसेसा, एवं एएणं गमएणं जाव सीसप्पहे. लिया भाणियव्वा । सागरोवमे णं भंते ! कि संखेजा पलिओवमा० पुच्छा, गोयमा ! संखेजा पलिओवमा णो असंखेजा पलिओवमा णो अणंता पलिओवमा, एवं ओसप्पिणीएवि उस्सप्पिणीएवि, पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जा पलिओवमा णो असंखेज्जा पलिओवमा अणंता पलिओवमा, एवं जाव सव्वद्धा । सागरोवमाणं भंते ! किं संखेज्जा पलिओवमा० पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेजा
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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