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________________ सुत्तागमे [ भगवई त्ताए हव्वमागच्छंति अजीवदव्वाणं नेरइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा 1 नेरइयाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति नो अजीवदव्वाणं नेरइया जाव हव्वमागच्छंति, से केणट्टेणं • ? गोयमा ! नेरइया णं अजीवदव्वे परियादियंति अ० २ त्ता वेरव्त्रियं तेयगं कम्मगं सोईदियं जाव फासिंदियं आणापाणुत्तं च निव्वत्तियंति, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ०, एवं जाव वेमाणिया नवरं सरीरइंदियजोगा भाणियव्वा जस्स जे अत्थि ॥ ७२० ॥ से नूणं भंते ! असंखेजे लोए अनंताई दव्वाई आगासे भइयव्वाई ? हंता गोयमा ! असंखेजे लोए जाव भइयव्वाई | लोगस्स णं भंते ! एगंमि आगासपए से कइदिसिं पोग्गला चिज्जंति ? गोयमा ! निव्वाघाएं छद्दिसिं वाघायं पच सिय तिदिसिं सिय चउदिसिं सिय पंचदिसिं लोगस्स भंते! एगंमि आगासपएसे कइदिसिं पोग्गला छिजंति ? एवं चेव, एवं उवचिज्जति एवं अवचिज्जति ॥ ७२१ ॥ जीवे णं भंते ! जाई दव्बाई ओरालियसरीरत्ताएगेहइ ताई कि ठियाई गेण्हइ अठियाई गेण्हइ ? गोयमा ! ठियाइंपि गेहइ अटियाइंपि गेण्ड, ताई भंते! कि दव्वओ गेण्हइ खेत्तओ गेण्हड़ कालओ गेण्हर भावओ गेण्हइ ? गोयमा ! दव्वओवि गेण्हड् खेत्तओवि गेण्हइ कालओवि गेण्हइ भावओवि गेण्हइ, ताईं दव्वओ अनंतपएसियाई दव्वाई खेत्तओ असंखेज्जपएसोगाढाई एवं जहा पन्नवणाए पढमे आहारुद्देसए जाव निव्वाघाएणं छद्दिसिं वाघायं पहुच सिय तिदिसिं सिय चउदिसिं सिय पंचदिसिं ॥ जीवे गं भंते ! जाई दव्वाइं वेडव्वियसरीरत्ताए गेण्हइ ताइं कि ठियाई गेण्हड़ अठियाई गेण्हइ ? एवं चैव नवरं नियमं छद्दिसि, एवं आहारगसरीरत्ताएवि ॥ जीवे णं भंते ! जाई दव्वाई यनसरीरत्ताए गिण्हइ पुच्छा, गोयमा ! ठियाई गेण्हइ नो अठियाई गेण्हइ सेसं जहा ओरालियसरीरस्स कम्मगसरीरे एवं चेव एवं जाव भावओवि गेण्हड, जाई दव्वाई दव्वओ गेण्हइ ताई कि एगपए सियाई गेण्हइ दुपएसियाई गेण्हइ ? एवं जहा भासाप जाव आणुपुवि गेण्हइ नो अणाणुपुव्विं गेण्हह, ताई भंते । कइदिसिं गेण्हइ ? गोयमा ! निव्वाघाएणं जहा ओरालियस्स ॥ जीवे णं भंते ! जाई दव्वाई सोइंदियत्ताए गेण्हड् जहा वेडव्वियसरीरं एवं जाव जिव्भिदियत्ताए फासिंदियत्ताए जहा ओरालियसरीरं मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीरं नवरं नियमं छद्दिसिं एवं वइजोगत्ताएवि कायजोगत्ताएवि जहा ओरालियसरीरस्स | जीवे णं भंते ! जाई दव्वाईं आणापाणुत्ताए गेण्हइ जहेव ओराल्यिसरीरत्ताए जाव सिय पंचदितिं । सेवं भंते ! २ त्ति । केइ चउवीसदंडएणं एयाणि पयाणि भन्नंति जस्स जं अस्थि ॥७२२|| पणवीसइमस्स सयस्स बीओ उद्देसो समन्तो ॥ 1 ८५४
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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