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________________ सुत्तागमे [भगवई ७७० दिया जहालय कडजुम्मा जावा कडजुम्मा, उनोसपा याणं पुच्छा, गोयमा! जहन्नपए कडजुम्मा, उक्नोसपए दावरजुम्मा, अजहन्नमणुकोसपए सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा, एवं जाव चउरिंदिया, सेसा एगिंदिया जहा बेइंदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया, सिद्धा जहा वणस्सइकाइया। इत्थीओ णं भंते ! किं कडजुम्माओ० पुच्छा, गोयमा! जहन्नपए कडजुम्माओ, उक्कोसपए कडजुम्माओ, अजहन्नमणुनोसपए सिय कडजुम्माओ जाव सिय कलिओगाओ, एवं असुरकुमारइत्थीओवि जाव थणियकुमारइत्थीओवि, एवं तिरिक्खजोणियइत्थीओवि, एवं मणुस्सइत्थीओवि, एवं वाणमंतरजोइसियवेमाणियदेवइत्थीओवि ॥ ६२३ ॥ जावइयाणं भंते ! वरा अंधगवण्हिणो जीवा तावइया परा अंधगवण्हिणो जीवा ? हंता गोयमा ! जावइया वरा अंधगवहिणो जीवा तावइया परा अंधगवण्हिणो.जीवा । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ ६२४ ॥ अट्ठारसमस्स सयस्स चउत्थो उद्देसो समत्तो॥ दो भंते ! असुरकुमारा एगसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उववन्ना, तत्य णं एगे असुरकुमारे देवे पासादीए दरिसणिजे अभिरूवे पडिस्वे, एगे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए नो दरिसणिजे नो अभिरुवे नो पडिरूवे, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा! असुरकुमारा देवा दुविहा प०, तं०-वेउव्वियसरीरा य अवेउव्वियसरीरा य, तत्थ णं जे से वेउव्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं जे से अवेउव्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए जाव नो पडिरूवे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-तत्थ णं जे से वेउव्वियसरीरे तं चेव जाव णो पडिरूवे ? गोयमा! से जहानामए-इहं मणुस्सलोगंसि दुवे पुरिसा भवंति, एगे पुरिसे अलंकियविभूसिए, एगे पुरिसे अणलंकियविभूसिए, एएसिणं गोयमा। दोण्हं पुरिसाणं कयरे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे, जे वा से पुरिसे अलंकियविभूसिए जे वा से पुरिसे अगलंकियविभूसिए ? भगवं! तत्य जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से णं पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं जे से पुरिसे अणलंकियविभूसिए से णं पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिलवे, से तेगडेणं जाव नो पडिरूवे । दो भंते ! नागकुमारा देवा एगंसि नागकुमारावासंसि एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया एवं चेव ।। ६२५ ॥ दो भंते ! नेरइया एगंसि नेरइयावासंसि नेरइयत्ताए उववन्ना, तत्थ णं एगे नेरइए महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव, एगे नेरइए अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा! नेरइया दुविहा प०, तं०-माइमिच्छादिहिउववन्नगा य अमाइसम्मद्दिट्ठि
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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