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________________ सुत्तागमे [आयारे विही अणुकतो, माहणेण मइमया; बहुसो अप्पडिन्नेण, भगवया एवं रियंति त्ति बेमि ॥ ४८३ ॥ पढमोद्देसो समत्तो । __ चरियासणाई सेजाओ, एगतियाओ जाओ वुइयाओ; आइक्खताइं सयणासगाई, जाइं सेवित्या से महावीरो ॥ ४८४ ॥ आवेसणसभापवासु, पणियसालासु, एगदा वासो; अदुवा पलियठाणेसु, पलालपुंजेसु एगदा वासो ॥ ४८५ ॥ आगंतारे आरामागारे तह य णगरे वि एगदा वासो, सुसाणे सुण्णागारे वा, रुक्खमूले वि एगदा वासो ॥ ४८६ ॥ एतेहिं मुणी सयणेहिं, समणे आसी पत्तेरसवासे; राई दिवं पि जयमाणे, अप्पमत्ते समाहिए झाति ॥ ४८७ ॥ णिपि णो पगामाए, सेवइ य भगवं उठाए; जग्गावती य अप्पागं, ईसि साति य अपडिन्ने ॥ ४८८ ।। संबुज्झमाणे पुणरवि, आसिंसु भगवं उठाए; णिक्खम्म एगया राओ, बहिं चंकमित्ता मुहुत्तागं ॥ ४८९ ॥ सयणेहिं तत्थुवसग्गा, भीमा आसी अणेगरूवाय; संसप्पगाय जे पाणा, अदुवा जे पक्खिणो उवचरंति ॥ ४९० ॥ अदुवा कुचरा उवचरंति, गामरक्वाय सत्तिहत्थाय; अदुगामिया उवसग्गा इत्थी एगतिया पुरिसा य ॥ ४९१ ॥ इहलोइयाई परलोइयाई, भीमाई अणेगरूवाइं; अवि सुभिदुभिगंधाई, सद्दाइं अणेगख्वाइं अहियासए सया समिए, फासाई विरूवरूवाई ॥ ४९२ ॥ अरइं रई अभिभूय, रीयई माहणे अबहुवाई ॥ ४९३ ॥ स जणेहि नत्य पुच्छिनु, एगचरा वि एगदा राओ; अव्वाहिए कसाइत्या, पेहमाणे समाहिं अपडिन्ने ॥ ४९४ ॥ अयमंतरंसि को एत्थ, अहमंसिति भिक्खू आहटु; अयमुत्तमे से धम्मे तुसिणीए सकसाइए झाति ॥ ४९५ ॥ जंसिप्पेगे पवेयंति, 'सिसिरे मारुए पवायंते; तंसिप्पेगे अणगारा, हिमवाए णिवायमेसंति ॥ संघाडिओ पवेसिस्सामो, एहा य समादहमाणा, पिहिया वा सक्खामो, अतिदुक्खे हिमगसंफासा ॥ तंसि भगवं अपडिण्णे, अहे वियडे अहिंयासए दविए, 'णिक्खम्म एगदा राओ, ठाइए भगवं ममियाए ॥ ४९६ ॥ एस विही अणुकतो माहणेण मईमया; बहुसो अपडिपंगंग, भगवया एवं रीयंति त्ति बेमि ॥ ४९७ ॥ वितिओद्देसो समत्तो॥ तगासे, सीयफासे, तेउफासे य, दंसमसगे य, अहियासए सया समिए, फासाइं पिचरवाई ॥ ४९८ ॥ अह दुच्चरलाढमचारी, वनभूमि च सुब्भभूमि च; पंतं मेर माविमु, आसणगाई चेव पंताई ॥ ४९९ ॥ लाढेसु तस्सुवसग्गा, वहवे जाणवया स्टति, अह लडेलिए भत्ते, पुबुरा तत्य हिलिंसु णिवतिंसु ॥ ५०० ॥ अप्पे जणे सिगारेट, टगणाा नुगए डसमाणे; छुछुकारंति आहेसु 'समणं कुकुरा डसंतु'त्ति 1! . . । एलियए जगा भुजो, वहवे वज्जभूमि फल्सासी; लठ्ठि गहाय णालीय,
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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