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________________ ७२२ सुत्तागमे [भगवई दिव्वाइं जाव चइत्ता तचे सजिगन्भे जीवे पयायाइ, से णं तओहितो जाव उच्च. ट्टित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उपवनइ, से णं तत्य दिवा भोग जाव चइत्ता चउत्थे सन्निगन्भे जीवे पचायाइ, से ण तओदिनो अगंतरं उचहिना मज्झिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववजन, से णं तत्य दिवा भोग जाब चदना पंचमे सन्निगन्भे जीवे पनायाइ, से णं तओहिंतो अणंतरं उच्चहिता लिहि मारसुत्तरे संजूहे देवे उववजइ, से णं तत्थ दिव्वाई भोग जाव बदना छ सन्निगन्ने जीवे पञ्चायाइ, से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वसित्ता संभलोगे नाग ने कप्पे पलते, पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिन्ने जहा ठाणपए जाव पंच बसगा प०, तंजहा-असोगवडेंसए जाव पडिरूवा, से णं तत्य देवे उववजह, से णं तत्य दस साग़रोवमाइं दिव्वाइं भोग जाव चइत्ता सप्तमे सन्निगन्भे जीवे पगायाइ, से ण तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाण जाव वीइक्रताणं सुकुमालगभलए मिउकुंडलकुंचियकेसए मट्टगंडतलकनपीढए देवकुमारस(म)प्पभए दारए पया(ए)यइ, से णं अहं कासवा! ते (तए)णं अहं आउसो ! कासवा ! कोमारियाए पन्चजाए कोमारएणं बंभचेरवासेणं अविद्धकन्नए चेव संखाणं पडिलभामि सं० २ ता इमे सन पउट्टपरिहारे परिहरामि, तंजहा-एणेज्जगस्स, मछरामस्स, मंडियस्स, रोहा, भारदाइस्स, अज्जुणस्स गोयमपुत्तस्स, गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स, तत्व णं जे से पढमे पउट्टपरिहारे से णं रायगिहस्स नयरस्स वहिया मंडियकुञ्छिसि उजाणंसि उदा(यण)इस्स कुंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि उदा० २ त्ता एणेज्जगस्स सरीरगं अणुप्पविसामि एणे० २ त्ता वावीसं वासाइं पढमं पउपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से दोच्चे पउट्टपरिहारे से णं उदंडपुरस्स नयरस्स बहिया चंदोयरणंति उजाणति एणेजगस्स सरीरगं विप्पजहामि २ त्ता मल्लरामस्स सरीरगं अणुप्पविसामि मल्ल० २ त्ता एगवीसं वासाई दोच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्य णं जे से तन्चे पउट्टपरिहारे से णं चंपाए नयरीए बहिया अंगमंदिरंमि उजाणंसि मलरामस्स सरीरगं विप्पजहामि मल्ल० २ त्ता मंडियस्स सरीरगं अणुप्पविसामि मंडि० २ त्ता वीसं वासाइं तच्च पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से -णं-वाणारसीए नयरीए वहिया काममहावर्णसि उजाणंसि मंडियस्स सरीरगं विप्पजहामि मंडि०-२ त्ता रोहस्स सरीरगं अणुप्पविसामि रोह० २ त्ता एगूणवीसं वासाई चउत्थं -पउपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से पंचमे पउट्टपरिहारे से -णं आलंभियाए नयरीए बहिया पत्तकालगंसि उजाणंसि रोहस्स सरीरगं विप्पजहामि - रोह०-२ त्ता भारद्दाइस्स सरीरगं अणुप्पविसामि भा० २ त्ता अट्ठारस
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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