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________________ वि०प० स० ९ उ० ३२] सुत्तागमे ५८७ एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १९ अहवा एगे सकर० एगे पंक० जाव एगे अहेसत्तमाए होजा २० अहवा एगे वालय० जान एगे अहे सत्तमाए होज्जा २१ ।। छन्भंते ! नेरड्या नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा? पुच्छा, गंगेया! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ७ अहवा एगे रंयण. पंच सकरप्पभाए होजा अहवा एगे रयण० पंच वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण पंच अहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयण० चत्तारि सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा दो रयण चनारि अहेसत्तमाए होजा अहवा तिन्नि रयण तिन्नि सकरप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं दुयासंजोगो तहा छण्हवि भाणियव्वो नवरं एको अन्भहिओ संचारेयव्वो जाव अहवा पंच तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा, अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० चत्तारि पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण० एगे सकर० चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० दो सक्कर० तिन्नि वालयप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं तियासंजोगो भणिओ तहा छण्हवि भाणियन्वो णवरं एको अन्भहिओ उच्चारेयन्वो, सेसं तं चेव ३४, चउक्कसंजोगोवि तहेव, पंचगसंजोगोवि तहेव, नवरं एल्को अभहिओ संचारेयव्वो जाव पच्छिमो भंगो अहंवा दो वालुय० एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण० एगे सकर० जाव एगे तमाए होजा १ अहवा एगे' रयण जाव एगे धूम० एगे अहेसत्तमाए होजा -२ अहवा एगे रयण० जाव एगे पंक एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३ अहवा एगे. रयण० जाव एगे वालुय० एगे धूम० जाव एगे अहेसत्तमाए होजा ४ अहवा एगे रयण एगे सक्कर० एगे पंक० "जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ५ अहवा एगे रयण एगे वालय० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ६ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जीव एगे अहेसत्तमाएं हाजा.७॥ सत्त भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा० पुच्छा, गंगेयो ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहे सनमाए वा होज्जा ७, अंहवा एगे रयणप्पभाए छ सकरप्पभाए होजा एवं एएणं कमेण जहा छण्हं दुयासंजोगो तहा सत्तण्हवि भॉणिकव नवरं एगो अब्भहिओ संचारिजइ, सेसं तं चेव, तियासंजोगो चउक्कसंजोगो पचसजागा छकसंजोगो य छण्हं जहा तहा सत्तण्हवि भाणियव्वं, नवरं एकको अब्भाओ,संचारेयव्वो जाव छक्कगसंजोगो अहवा दो सक्कर० एगे वालुय० जाव एगे अहंसत्तमाए होजा अवा एगे रयण एगे सक्कर- जाव एगे अहेसत्तमाए होना ॥ अट्ठ भते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणापुच्छा, गंगेयों! रयणप्पभाए
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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