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________________ ५८२ सुत्तागमे [ भगवई ० काइया, बेइंदिया जाव वेमाणिया एए जहा णेरइया ॥ ३७० ॥ संतरं भंते ! नेरइया उववट्टंति निरंतरं नेरइया उववट्टंति ? गंगेया ! संतरंपि नेरइया उववति निरंतरंपि नेरइया उववति, एवं जाव थणियकुमारा, संतरं भंते ! पुढविकाइया उववहंति • ? पुच्छा, गंगेया ! णो संतरं पुढविकाइया उव्वति निरंतरं पुढविक्काइया उव्वति, एवं जावं वणस्सइकाइया नो संतरं निरंतरं उव्वदृंति, संतरं भंते । बेइंदिया उव्वति निरंतरं बेदिया उव्वति ? गंगेया ! संतरंपि बेइंदिया उव्वति निरंतरंपि बेइंदिया उव्वट्टंति, एवं जाव वाणमंतरा, संतरं भंते ! जोइसिया चयंति० ? पुच्छा, गंगेया ! संतरंपि जोइसिया चयंति निरंतरंपि जोइसिया चयंति, एवं जाव वैमाणिया ॥ ३७१ ॥ कइविहे णं भंते ! पवेसणए प० ? गंगेया । चउव्विहे पवेसणए पन्नत्ते तंजहा - नेरइयपवेसणए, तिरिक्खजोणियपवेसणए, मणुस्सर्पवेसणए, देवपवेसणए । नेरइयपवेसणए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गंगेया ! सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा - रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए || एगे णं भंते ! नेरइए नेरइयपवेसणएणं पविसमाणे किं रयणप्पभाए होजा सक्करप्पभाए होजा एवं जाव अहेसत्तमाए होजां ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव आहेसत्तमाए वां होजा । दो भंते! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा जाव आहेसत्तमाए होजा ! गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा जाव एगे रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा, अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एग्रे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे, वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, एवं एक्केका पुढवी छड्डेयव्वा जाव अहवा एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ॥ तिन्नि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा जाव अहेसत्तमाए होजा ?, गंगेया 1 रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होजा, अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा ६- अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा जाव अहवा दो रयणप्पभाए एंगे अहेसत्तमाए होजा ́ १२ अहवा एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होजा १७ अहवा दो सकरप्पभाए एगे वालुम प्पभाए होज्जा जाव अहवा दो सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा २२ एवं जहा सक्करप्पभाए वत्तृव्वया' भणिया तहा, सव्वपुढवीणं भाणियव्वा जाव अहवा दो J t र 1
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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