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________________ ५५९ वि० ५० स० ० उ०८] सुत्तागमे भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयरंति ? गोयमा! एगे दंसणपरीसहे समोयरइ, चरित्तमोहणिजे णं भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयरंति ? गोयमा ! सत्त परीसहा समोयरंति, तंजहा-अरई अचेल इत्थी निसीहिया जायणा य अक्कोसे । सक्कारपुरकारे चरित्तमोहमि सत्तेए ॥ १ ॥ अंतराइए णं भंते ! कम्मे कइ परीसहा समोयति ? गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरइ ॥ सत्तविहबंधगस्स णं भंते ! कइरं परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा! वावीसं परीसहा पण्णत्ता, वीसं पुण वेदेइ, जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ णो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ णोतं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ जं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ । अढविहवंधगस्स णं भंते ! कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा! वावीसं परीसहा पण्णत्ता, तंजहा-छुहापरीसहे, पिवासापरीसहे, सीयप०, दंसमसगप० जाव अलाभप०, एवं अट्ठविहवंधगस्सवि सत्तविहवंधगस्सवि । छविहबंधगस्स ण भंते ! सरागछउमत्थस्स कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोद्दस परीसहा पण्णत्ता बारस पुण वेदेइ, जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समय चरियापरीसहं वेदेइ णो तं समयं सेजापरीसहं वेदेइ जं समय सेज्जापरीसहं वेदेइ णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ । एकविहवंधगस्त णं भंते ! वीयरागछउमत्थस्स कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एवं चेव जहेव छविहवंधगस्स । एगविहवंधगस्स णं भंते ! सजोगिभवत्थकेवलिस्स कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा! एकारस परीसहा पण्णत्ता, नव पुण वेदेइ, सेसं जहा छव्विहवंधगस्स । अवंधगस्स णं भंते ! अजोगिभवत्थकेवलिस्स कइ परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एक्कारस परीसहा पण्णत्ता, नव पुण वेदेइ, जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जंसमयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं सेजापरीसहं वेदेइ जं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ ॥३४२॥ जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसंति मज्झंतियमुहुत्तसि मूले य दूरे य दीसंति अत्थमणमुहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? हता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि दूरे य तं चेव जाव अत्थमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसंति, जंवूदीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि मज्झंतियमुहुत्तसि य अत्थमणमुहुत्तसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं ? हंता गोयमा! जंबुद्दीवे णं, दीवे सूरिया उग्गमण जाव उच्चत्तेगं । जइ णं
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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