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________________ वि०प० स० ८ उ०१] सुत्तागमे ५३५ ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए कि एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए एवं जाव पंचिंदियओरालिय जावं परि०?, गोयमा ! एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा बेदिय जाव परिणए वा जाव पंचिंदिय जाव परिणए वा, जइ एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं पुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए जाव वणस्सइकाइयएगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए ?, गोयमा ! पुढविकाइयएगिदिय जाव परिणए वा जाव वणस्सइकाइयएगिदिय जाव परिणए, वा, जइ पुडविकाइयएगिदियओरालियसरीर जाव परिणए कि सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए वायरपुढविकाइयएगिदिय जाव परिणए ?, गोयमा ! सुहुमपुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए वा वायरपुढविकाइय जीव परिणए वा, जइ सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए कि पज्जत्तसुहुमपुढवि जाव परिणए अपज्जत्तंसहुमपुढवि जाव परिणए ?, गोयमा! पजत्तसहुमपुढविकाइय जाव परिणए वा अपजत्तसहुमंपुढविकाइय जाव परिणए वा, एवं वायरावि, एवं जाव वणस्सइकाइयागं चउक्कओ भेओ, बेइंदियतइंदियचउरिंदियाण दुयओ मेओ पज्जत्तगा य अपजत्तगा य । जइ पंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं तिरिक्खेजोणियपंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए मणुस्सपंचिंदिय जावं परिणए ?, गोयमा ! तिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणएँ वा, जइ तिरिक्खजोणिय जाव परिणए किं जलयरतिरिक्खजोणिय जाव परिणए थलयरखहयर०? एवं चउक्कओ मेओ जाव खहयराणं । जइ मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए कि समुच्छिममणुस्सपंचिदिय जाव परिणए गम्भवनंतियमणुस्सजाव परिणए ?, गोयमा ! दोसुवि, जइ गन्भवतियमणुस्स जाव परिणए किं पजत्तगब्भवकंतिय जाच परिणए अपजत्तगभवतियमणुस्सपंचिंदियओरालियंसरीरंकायप्पओगपरिणएं ?, गोयमा ! पज्जत्तगव्भवनंतिय जाव परिणए वो अपेजत्तगभवनंतिय जाव परिणए वा १ । जइ ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए कि एगिंदियओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए वेइंदिय जाव परिणए जाव पंचेंदियओरालिय जाव परिणए , गोयमा ! एगिंदियओरालिय जाव परिणए एवं जहा ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणएणं आलावगो भणिओ तहा ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणएवि आलोवंगो भाणियव्वो, नवरं वायरवाउकाइयगव्भवतंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियगन्भवतियमणुस्साणं एएसि णं पज्जत्तापजत्तगाणं सेसाणं अपजत्तगाणं २ । जइ वेउव्वियसरीरकायप्पओगपरिणए कि एगिदियवेउबियसरीरकायप्पओगपरिणए जाव पंचिंदियवेउव्वियसरीर जाव परिणए ?, गोयमा ! एगिदिय जाव परिणए वा पंचिंदिय जाव परिणए वा, जइ एगिदिय
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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